सीहोर। हमारे संत-मुनि कह गए हैं पहला सुख निरोगी काया, दूसरा सुख जेब में हो माया। यदि काया अर्थात शरीर रोगी है तो आप धन कैसे कमाएंगे। यदि पहले से ही अपार धन है तो वह किसी काम का नहीं। धन से कोई रोग नहीं मिटता है। शरीर स्वस्थ और सेहतमंद है तभी तो आप जीवन का आनंद ले सकेंगे। घूमना-फिरना, हंसी-मजाक, पूजा-प्रार्थना, मनोरंजन आदि सभी कार्य अच्छी सेहत वाला व्यक्ति ही कर सकता है।
उक्त विचार जिला मुख्यालय के समीपस्थ चितावलिया हेमा स्थित निर्माणाधीन मुरली मनोहर एवं कुबेरेश्वर महादेव मंदिर में जारी श्री कार्तिक शिव महापुराण कथा के दूसरे दिन भागवत भूषण पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहे, उन्होंने कहा कि सच्चे गुरु और संत वो होते हैं जो भक्त के चित्त पर ध्यान देते हैं और उसकी आत्मा को दुर्गति से बचाकर कल्याण के मार्ग की ओर भेजने के लिए चिंतित रहते हैं। धन भी आपका तब तक है जबतक आपका पुण्य प्रबल है। पुण्य के कमजोर होते ही धन भी आपका साथ छोड़ देता है। संसार मात्र नाटक है। यहां सभी दिखावटी मालिक हैं। संसार के रंगमंच पर हर पात्र अपने अपने हिसाब से अपना अभिनय करता है। इससे वास्तविकता का कोई लेना देना नहीं होता है। व्यक्ति उस वास्तविकता को सुनकर सहन करने की क्षमता भी नहीं रखता है। मानव जीवन हमें लीज पर मिला है।
मृत्युलोक में भगवान को भी दुख सहन करना पड़े हैं
मंगलवार को महापुराण कथा के दूसरे दिन भागवत भूषण पंडित श्री मिश्रा ने कहा कि इस मृत्युलोक में सभी को दुख सहन करना पड़ते हैं। भगवान राम, कृष्ण, बुद्ध और महावीर आदि ने भी विपत्ति पर विजय प्राप्त करने का संदेश दिया है। दुख, विपत्ति, कष्ट, रोग, शोक ये शब्द ही ऐसे हैं कि संसार में हर कोई इनके नाम से ही कांपता है। संसार में ऐसा कोई नहीं, जो अपने जीवन में इनमें से किसी की भी आवक चाहता हो। सभी व्यक्ति उपाय करते हैं कि ये 5 शब्द उनके जीवन से यथासंभव दूर रहें। हर व्यक्ति यह कामना करता है। प्रार्थना करता है कि ईश्वर उसे इन तकलीफों से बचाए पर सच्चाई तो यही है कि इन शब्दों से लगभग रोज ही किसी न किसी का पाला पड़ता ही है।