नईदुनिया प्रतिनिधि, सीहोर। मध्य प्रदेश के सीहोर जिले में स्थित कुबेरेश्वर धाम में आयोजित कांवड़ यात्रा और रुद्राक्ष वितरण समारोह की अव्यवस्था कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा के आह्वान पर उमड़ी सात-आठ लाख की भीड़ में से कई श्रद्धालुओं को जीवन भर का दर्द दे गई। आयोजन में सात लोगों की मौत हो गई, वहीं 40-50 लोग लापता हो गए। उनमें से कुछ तो किसी तरह ठिकाने पर पहुंच गए, लेकिन कई अब भी गायब हैं। ऐसे 10-12 परिवार अपनों को ढूंढने के लिए अभी भी सीहोर के होटलों, आश्रमों में रुके हुए हैं।
उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर से आई एक महिला बदहवास अवस्था में अपनी लापता सास को पिछले तीन दिनों से खोजते-खोज रही है। वह कहती हैं- कांवड़ यात्रा में शामिल होने के लिए घर से जिद करके आई थी। पति ने मना किया तो सास को मनाया और उन्हें लेकर यहां पहुंची, लेकिन अब सास बिछड़ गई हैं। पति को बताया तो उन्होंने साफ कह दिया कि मां को लिए बिना घर मत आना। अब मैं सास को खोज रही हूं।
उनकी गुमशुदगी थाने में दर्ज करा दी है। कुछ ऐसा ही दर्द उत्तर प्रदेश के हापुड निवासी प्रदीप का है। उनकी पत्नी 23 वर्षीय चंचल छह अगस्त दोपहर एक बजे से लापता है। प्रदीप ने उसी दिन थाने में इसकी शिकायत की। पुलिस ने आठ अगस्त को गुमशुदगी लिखी। शनिवार देर शाम तक चंचल का पता नहीं चल पाया था। कई परिवार अभी भी कुबेरेश्वर धाम प्रबंधन और सीहोर के स्थानीय स्वयंसेवी नेटवर्क के भरोसे अपनों को यहां वहां तलाश रहे हैं, लेकिन उन्हें नहीं पता कि वे कहीं और किस हालत में हैं। पुलिस भी इनके बारे में कुछ नहीं बता पा रही है।
गांवों में भटकते पहुंचे बहुत सारे लोग शुक्रवार को एक वृद्ध महिला भटकते हुए सीहोर जिले के ग्राम महोडिया पहुंच गईं। वह अपना नाम, पता व परिवार के बारे में कुछ नहीं बता पा रही हैं। कुछ पूछने पर रोने लगती है। ग्रामीणों ने इसकी सूचना पुलिस को दी और गांव में ही उसको आसरा दिया। इसके साथ ही सोशल मीडिया पर वृद्धा का फोटो जारी कर लिखा कि अगर आप इन्हें या परिजनों को पहचानते हैं तो बता दें कि महोडिया चले जाएं। अभी तक उनके किसी स्वजन ने संपर्क नहीं किया है।
कुबेरेश्वर धाम में सात लोगों की मौत, दर्जनों घायलों, 70 से अधिक लोगों के अस्पताल पहुंचने और कइयों के लापता हो जाने की सूचनाओं के बावजूद पुलिस-प्रशासन का रवैया अब भी निष्क्रिय बना हुआ है। राज्य मानवाधिकार आयोग ने जरूर कुबेरेश्वर धाम में हुई मौतों पर रिपोर्ट मांगी है, लेकिन प्रशासन ने कांवड़ यात्रा और रुद्राक्ष वितरण के आयोजकों को अभी तक एक नोटिस भी जारी नहीं किया है। प्रशासनिक अधिकारी कह रहे हैं कि जांच हो रही है। सवाल अब भी वही है कि इस दुर्घटना की जिम्मेदारी क्यों तय नहीं हो रही।
अधिकतर गुमशुदा मिल चुके हैं। इसके साथ ही अन्य की तलाश की जा रही है। इस अव्यवस्था और दुर्घटनाओं का जिम्मेदार कौन है, इसके लिए जांच की जा रही है। प्रशासनिक रिपोर्ट तैयार कर मानवाधिकार आयोग को भेजी जाएगी।
- दीपक कुमार शुक्ला, एसपी, सीहोर