नईदुनिया प्रतिनिधि, सीहोर। गुरुवार को भी दो श्रद्धालुओं की मौत यानी तीन दिन में सात मौतें, 40 से ज्यादा लापता, सैकड़ों बीमार और हजारों बेसहारा। यह कोई प्राकृतिक आपदा नहीं, बल्कि आस्था के नाम पर की गई हठधर्मिता का वह चेहरा है, जिसे कुबेरेश्वर धाम में तीन दिनों तक लाखों लोगों ने भुगता। श्रद्धा से भरे हुए ये लोग कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा के आमंत्रण पर कांवड़ यात्रा और रुद्राक्ष वितरण में शामिल होने पहुंचे थे। आयोजक मरने वालों को बीमार बताकर, श्रद्धांजलि अर्पित कर पल्ला झाड़ चुके हैं। वहीं प्रशासन जांच-जांच खेल रहा है।
गुरुवार को एक मृतक की पहचान उत्तर प्रदेश में गोरखपुर जिले के पिपराइच बड़ा टोला निवासी उपेन्द्र गुप्ता और दूसरे की पहचान दिल्ली के खेड़ा कला निवासी अनिल पिता महावीर के रूप में हुई। बताया गया कि धाम में उनकी तबीयत खराब हो गई थी।
अनिल के साथ आई कविता ने बताया कि अनिल को अस्थमा की शिकायत थी। ठीक होने की उम्मीद लेकर वे कुबेरेश्वर धाम पहुंचे थे। बता दें, इससे पहले मंगलवार को धाम में दो महिला श्रद्धालुओं की भगदड़ से मौत हो गई थी। बुधवार को तीन श्रद्धालुओं की मौत अत्यधिक भीड़ में अव्यवस्था के कारण गश खाकर गिरने से हुई।
जिला अस्पताल में धाम से 70 लोगों को लाया गया था, जिनमें से 50 का इलाज हो रहा है। वहीं, बताया जा रहा है कि तबीयत बिगड़ने के बाद से करीब 40 लोग लापता हैं। हालांकि इसकी पुष्टि नहीं हो सकी है।
अब सवाल उठ रहे हैं कि बेंगलुरु के चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर आरसीबी के रोड शो में भगदड़ के बाद आयोजकों पर एफआइआर हो सकती है, तो फिर मध्यप्रदेश के कुबेरेश्वर धाम में सात श्रद्धालुओं की मौत के बावजूद आयोजकों पर कोई कानूनी कार्रवाई क्यों नहीं हो रही? क्या लाखों की भीड़ बुलाने के बाद सिर्फ 'श्रद्धांजलि' दे देना पर्याप्त जिम्मेदारी है? क्या सरकार और प्रशासन सिर्फ तमाशबीन बने रहेंगे ताकि व्यवस्था की चूक से निर्दोष जानें जाती रहें?
वे तीन कारण, जिससे बने अव्यवस्था के हालात
1- पंडित प्रदीप मिश्रा अपने प्रवचन में कुबेरेश्वर धाम में कष्ट मुक्ति का दावा करते हैं। कुछ महीनों से अपनी हर कथा और सोशल मीडिया संदेशों में लोगों को छह अगस्त की कांवड़ यात्रा में आने का न्यौता दे रहे थे। दावा था कि एक जोड़ी कपड़े में आ जाओ, धाम में सब इंतजाम है। आयोजकों ने इतने श्रद्धालुओं के लिए बुनियादी सुविधाओं तक की व्यवस्था नहीं की थी।
2- आयोजन के लिए प्रशासन से जो अनुमति मांगी गई थी, उसमें संख्या नहीं बताई थी। कहा गया था कि लाखों श्रद्धालु आएंगे और ध्वनि विस्तारक यंत्रों का उपयोग होगा। अनुविभागीय अधिकारी ने बिना स्पष्टीकरण मांगे अनुमति जारी कर दी।
3- बार-बार की दुर्घटनाओं से न प्रशासन ने सबक लिया और न ही कुबेरेश्वर धाम का प्रबंधन देखने वाले विट्ठलेश सेवा समिति ने।
भाजपा प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य और प्रदेश की पूर्व मंत्री कुसुम महदेले ने आयोजन पर तीखे सवाल उठाए हैं। उन्होंने एक्स पर लिखा कि लोगों को धर्म के प्रति उन्मादी मत बनाओ, धर्म से लोगों का ज्ञान बढ़ाओ। तुम्हारे रुद्राक्ष बांटने से पुण्य मिल रहा है या हत्याएं हो रही हैं। रुद्राक्ष वितरण पर शासन रोक लगाए, पं. प्रदीप मिश्रा पर कार्रवाई करे।
विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने कहा कि कानून सबसे ऊपर होता है। किसी की मृत्यु पर रुद्राक्ष वितरण जैसे आयोजन की अनुमति नहीं दी जा सकती। जिम्मेदार पर तुरंत कार्रवाई होनी चाहिए।
कांवड़ यात्रा को लेकर जो अनुमति मांगी कई थी, उसमें संख्या का उल्लेख नहीं था। इसके बाद भी सड़क मार्ग, ट्रेन और निजी वाहनों से आने वाले श्रद्धालुओं की आवाजाही पर विशेष ध्यान रखा गया था। उम्मीद से ज्यादा भीड़ आई इससे श्रद्धालुओं को परेशानी का सामना करना पड़ा। मामले में जांच रिपोर्ट बनाई जा रही है। - बालागुरु के., कलेक्टर सीहोर