सीहोर, नवदुनिया प्रतिनिधि। नूतन वर्ष चैत्र नवरात्र के पहले ही दिन चितावलिया हेमा स्थित निर्माणाधीन मुरली मनोहर व कुबेरेश्वर महादेव मंदिर में भागवत भूषण पंडित प्रदीप मिश्रा के मार्गदर्शन में सुबह आठ बजे पूर्ण विधि-विधान से अपनी घोषणा के अनुसार रुद्राक्ष वितरण के क्रम का शुभारंभ कर दिया है। रुद्राक्ष वितरण के पहले ही दिन सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालुओं ने पहुंचकर अपनी आइडी दिखाकर निश्शुल्क रूप से पूरी आस्था और उत्साह के साथ प्रसादी रूपी अभिमंत्रित रुद्राक्ष ग्रहण किया।
इस संबंध में विठलेश सेवा समिति के मीडिया प्रभारी प्रियांशु दीक्षित ने बताया कि शनिवार से निर्माणाधीन मुरली मनोहर व कुबेरेश्वर महादेव मंदिर में रुद्राक्ष वितरण का क्रम आरंभ हो गया है। करीब 11 लाख से अधिक अभिमंत्रित रुद्राक्षों का वितरण लगातार छह माह तक किया जाएगा। इस मौके पर भागवत भूषण पंडित मिश्रा ने श्रद्धालुओं से अपील की है कि समिति के द्वारा रुद्राक्ष वितरण का क्रम आरंभ हो गया है, कृपा भीड़-भाड़ न करे और पूरी आस्था के साथ क्रमानुसार अपना रुद्राक्ष ले, रुद्राक्ष निशुल्क रूप से दिया जा रहा है। समिति के द्वारा एक दर्जन से अधिक काउंटर बनाए गए है। लगातार छह माह तक मंदिर में बनाए काउंटरों से सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक वितरण किया जाएगा। उन्होंने कहा कि एक मुखी से लेकर 14 मुखी रुद्राक्ष होते है। भारतीय संस्कृति में रुद्राक्ष का बहुत महत्व है। रुद्राक्ष यानी रुद्र का अक्ष यानी आंसू कहा जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के आंसुओं से हुई है। माना जाता है कि रुद्राक्ष इंसान को हर तरह की हानिकारक ऊर्जा से बचाता है। इसका इस्तेमाल सिर्फ तपस्वियों के लिए ही नहीं, बल्कि सांसारिक जीवन में रह रहे लोगों के लिए भी किया जाता है। रुद्राक्ष के ऐसे तो कई फायदे हैं, लेकिन रुद्राक्ष को लेकर यह भी धारणा है कि मंत्र जाप और ग्रहों को नियंत्रित करने के लिए रुद्राक्ष को सबसे उत्तम बताया गया है। बहुत ही कम लोगों को पता होगा कि रुद्राक्ष को धारण कर हम शनि दोष को दूर किया जा सकता है। रुद्राक्ष के कुछ खास उपाय से कुंडली में मौजूद शनि के अशुभ योग भी खत्म हो जाते हैं। रुद्राक्ष में वो शक्ति है जो अपने धारक को हर तरह की परेशानी से लडे की क्षमता देता है और उनको दूर करता है।
शिव महापुराण में किया गया था अभिमंत्रित
गत दिनों हुए रुद्राक्ष महोत्सव के दौरान इन रुद्राक्षों को विशेष मंत्रों के द्वारा अभिमंत्रित किया गया था। अब इनका वितरण पूर्ण विधि-विधान से किया जा रहा है। समिति ने सभी श्रद्धालुओं से शांति व्यवस्था बनाए रखते हुए रुद्राक्ष लेने की अपील की है। जिससे किसी को कठिनाई न हो।