आकाश माथुर, नईदुनिया, सीहोर। साइबर ठगों ने कंपनी की स्कीम बताकर सीहोर जिले में म्यूल खातों का बड़ा नेटवर्क खड़ा कर लिया है। केवल आष्टा तहसील में ही ऐसे 250 खाताधारकों का पता चला है। स्थानीय व्यक्तियों की मदद से ये पूरा जाल फैलाया गया। अब बिना कोई काम किए कमाई के लालच में पड़े सैकड़ों लोग साइबर ठगी गिरोह का हिस्सा बन बैठे हैं।
नईदुनिया ने ठगी के इस नेटवर्क की पड़ताल की तो चौंकाने वाला पैटर्न सामने आया। एक खाताधारक ने पहचान उजागर नहीं करने की शर्त पर बताया कि उसके पड़ोसी गांव के परिचित युवक ने उसे इस नेटवर्क से जोड़ा। वह 10-15 हजार रुपये देने का लालच देता है। उसके बदले आधार और पहचान से जुड़े दूसरे दस्तावेज लेता है। रुपये मिलने के बाद हम लोग दस्तावेजों की फोटोकापी को भूल गए। अब पता चला है कि परिचित युवक हमारे दस्तावेजों का इस्तेमाल कर नई सिम खरीदता था। उसका इस्तेमाल कर ऑनलाइन बैंक खाता खोलता।
यह काम हो जाने के बाद वह दूरदराज बैठे गिरोह के लोगों तक सिमकार्ड और खाते से जुड़े दस्तावेज, पासवर्ड आदि पहुंचा देता। खाताधारक का कहना था कि उनके क्षेत्र में ऐसे कई लोग सक्रिय थे, जिन्होंने अपने परिचितो-रिश्तेदारों को भी इस स्कीम में जोड़कर उनके दस्तावेज ठगों तक पहुंचाए। इस वाकये के एक साल बाद उनके पास जम्मू-कश्मीर पुलिस का नोटिस पहुंचा, तब जाकर समझ में आया कि उनके दस्तावेजों का इस्तेमाल साइबर ठगी में हुआ है।
अब उनको समझ में नहीं आ रहा है कि इस आरोप से कैसे बचा जाए। यह एक अकेले की कहानी नहीं है। नोटिस मिलने के बाद ऐसे 24-25 लोग आष्टा थाने और सीहोर पुलिस अधीक्षक कार्यालय पहुंचकर मदद मांग चुके हैं। उनका कहना है कि किसी ने उनके नाम पर खाते खोलकर उसका मिसयूज किया है। पुलिस का कहना है कि उनकी पड़ताल में ऐसे लोगों की संख्या 250 के आसपास है, जिनके खातों का इस्तेमाल साइबर ठगो के पास हैं। ये लोग सिर्फ आप्टा तहसील क्षेत्र में ही सामने आए हैं।
अभी तक जो लोग सामने आए हैं, उनको गुजरात, महाराष्ट्र, बिहार, झारखंड और जम्मू-कश्मीर के कई थानों से नोटिस मिले हैं। पुलिस का कहना है जहां हुए अपराधों में इन खातों का इस्तेमाल मिल रहा है, वहां की पुलिस नोटिस भेजकर इन्हें तलब कर रही है। इन्हें संबंधित थाने जाकर बयान देने चाहिए।
साइबर अपराधी ठगी की रकम को एक बैंक खाते से दूसरे, फिर तीसरे खाते में ट्रांसफर करते हुए एक चेन बनाता है। यह प्याज के छिलकों की तरह का आवरण है जिसके पीछे असली अपराधी छिपा होता है और पुलिस उस तक नहीं पहुंच पाती। अपराधियों के इस्तेमाल में आए खाते इसी तरह लोगों को लालच देकर या मूर्ख बनाकर खरीदे जाते हैं। शिकायत होने पर उन खातों से लेन-देन बंद कर दिया जाता है। वहीं सिम को भी डी-एक्टीवेट कर दिया जाता है।
इस तरह के मामलों में कई लोगों के पास दूसरे राज्यों से नोटिस आए हैं। कई लोग हमारे पास आए हैं। जिनका कहना है कि उनके दस्तावेजों का गलत उपयोग किया गया है। मामले को लेकर जांच की जा रही हैं, इसमें पूरी श्रृंखला है जिसको खोजा जा रहा है। - आकाश अमलकर, एसडीओपी आष्टा
मामले को लेकर हम ज्यादा जानकारी नहीं दे सकते। जानकारी उस एजेंसी के पास है, जिसके पास शिकायत की गई है। अधिकतर मामलों में पीड़ित दूसरे राज्यों के हैं और उन्होंने शिकायत भी वहीं की होगी। जिस किसी के पास भी नोटिस पहुंच रहे हैं, वो शीघ्र वहां पहुंचकर अपना पक्ष रखें। - दीपक शुक्ला, एसपी सीहोर।