सीहोर (नवदुनिया प्रतिनिधि)। जीवन में दुख-सुख आते और जाते रहते हैं। भगवान शिव सभी के कल्याण के लिए कार्य करते हैं। आप जीवन में किसी के सारथी बनो, स्वार्थी मत बनो। आज हमारे दुख की वजह यही है कि हम स्वार्थी तो बन गए हैं, लेकिन सारथी हम खुद के भी नहीं बने हैं। दूसरों का न सही खुद का हित कर लो, लेकिन खुद का हित दूसरों को नीचा दिखाकर मत करो। शुक्रवार को सादगी के साथ भैरव शिव महापुराण का समापन किया जाएगा।
उक्त विचार जिला मुख्यालय के समीपस्थ चितावलिया हेमा स्थित निर्माणाधीन मुरली मनोहर एवं कुबेरेश्वर महादेव मंदिर में जारी भैरव शिव महापुराण के छठवें दिन अंतरराष्ट्रीय कथा प्रवक्ता भागवत भूषण पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहे। इस मौके पर उन्होंने कहा कि हमारे भाव सच्चे और अच्छे होना चाहिए। जिस दिन से हम दूसरों के लिए जीना शुरू कर देंगे उस ही दिन से जीवन में सुख आना शुरू हो जाएगा। शरीर को मथुरा व हृदय को गोकुल बनाओ तभी परमात्मा प्रकट होंगे। शरीर कहीं भी रहे मन को मथुरा वृंदावन भेजो। पंडित श्री मिश्रा ने गुरुवार को भगवान गणेश के विवाह और भैरव के विषय में विस्तार से वर्णन किया। शुक्रवार को सात दिवसीय भैरव शिव महापुराण कथा का समापन सादगी के साथ किया जाएगा।
शिव का अर्थ शुभ होताः कथा के छठवें दिवस पंडित श्री मिश्रा ने कहा कि जीवन में सत्य बोलना ही ईश्वर की सच्ची आराधना करना है। परमेश्वर ही सत्य है। शिव का अर्थ शुभ होता है और सुंदरम प्रकृति को कहते हैं, जो व्यक्ति परमेश्वर पर विश्वास करता है, वही सत्य बोलने की ताकत रखता है और जो सत्य बोलता है, उसके जीवन में शिव अर्थात शुभ होने लगता है। शुभ का अर्थ सब कुछ अच्छा होने लगता है और जीवन एक सुंदर सफर बन जाता है।