नईदुनिया प्रतिनिधि, सीहोर। कुबेरेश्वर धाम में हादसे के पांच दिनों बाद भी मौतों की जिम्मेदारी तय नहीं हो पाई है। जिला प्रशासन और आयोजक विट्ठलेश सेवा समिति एक-दूसरे पर जिम्मेदारी थोपने के खेल में लगे हैं। इस बीच नईदुनिया की पड़ताल में सामने आया कि प्रशासन और आयोजकों दोनों ने भीड़ प्रबंधन के लिए बनाए नियमों (एसओपी) की हर कदम पर अनदेखी की है। इसकी वजह से यह हादसा हुआ, जिसमें सात लोगों की मौत हुई।
कुबेरेश्वर धाम में कांवड़ यात्रा को लेकर एसडीएम ने नगर परिषद, पीडब्ल्यूडी सहित संबंधित विभागों का अभिमत लेकर 19 बिंदुओं पर सशर्त अनुमति दी थी। सामने आया है कि इनमें से किसी ने आयोजन स्थल पर जाकर व्यवस्था नहीं देखी। न तो प्रशासन, पंडित प्रदीप मिश्रा और विट्ठलेश सेवा समिति के साथ समन्वय बैठक हुई।
अब सामने आ रहा है कि हादसे से एक दिन पहले ही धाम परिसर में एक लाख से अधिक श्रद्धालु पहुंच गए थे, लेकिन उन्हें संभालने के लिए हाईवे से धाम तक महज 15-20 पुलिसकर्मी मौजूद थे। पांच अगस्त को भगदड़ में मौतों के बाद भोपाल से क्यूआरटी के कुछ जवान मौके पर पहुंचे। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि उन्हें पता ही नहीं चला कि छह अगस्त के आयोजन के लिए चार तारीख को ही लोग पहुंच जाएंगे। प्रशासन को अंत तक यह भी नहीं पता चला कि आयोजन में कहां-कहां से कितने लोग पहुंचने वाले हैं।
आयोजन के तीन दिनों में सात लोगों की मौत हुई। प्रशासन की भूमिका उन्हें जिला अस्पताल पहुंचाकर पोस्टमार्टम कराने तक की सीमित रही। प्रशासन या आयोजन समिति किसी ने भी मृतक के स्वजन की कोई अन्य मदद नहीं की। यहां तक कि शवों को उनके घर भेजने के लिए अपनी तरफ से वाहन की व्यवस्था तक नहीं की। पीड़ितों को खुद के खर्च पर एंबुलेंस से शव ले जाना पड़ा।
इस मामले में सबसे गंभीर बात यह है कि मृतकों के स्वजन अथवा साथ के लोगों से पुलिस ने उनका बयान तक नहीं लिया है। पीड़ित दूसरे प्रदेशों के थे और अब वे अपने घर लौट चुके हैं। पूछने पर कुछ पुलिस अधिकारियों का कहना था कि कानूनन ऐसा बयान हत्या अथवा दुर्घटना के मामले में ही लिया जाता है। यहां बीमारी से लोग मरे हैं तो पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही बयान हो सकते हैं। रिपोर्ट आएगी तो उनको नोटिस देकर बुलाया जाएगा। या फिर किसी को भेजकर बयान लेंगे।
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सीहोर के कलेक्टर बालागुरू के. ने कहा कि आयोजक लाखों लोगों की अनुमति लेते हैं, लेकिन जब भीड़ बढ़ जाती है और अव्यवस्थाएं होती हैं, तो प्रशासन व पुलिस को दोषी ठहराया जाता है। यदि हमसे स्पष्ट संख्या बताकर अनुमति ली जाए तो हम उस तरह से इंतजाम करेंगे।