कॉलेज में लगाते थे पोस्टर, यकीन का करते थे वितरण
फोटो 17 सीहोर। राके श अरुण समाधिया।
सीहोर। आपातकाल में मीसाबंदियों की भूमिका से अधिकतर लोग परिचित हैं। मीसा बंदी आपातकाल में सरकार के खिलाफ लड़ रहे थे। कई लोगों की गिरफ्तारी हुई। जनसंघ के सक्रीय कार्यकर्ताओं को नजरबंद और जेल में डाला जा रहा था। इस सब के बीच शहर की तरुण शांति सेना के के कार्यकर्ता भी गुपचुप सरकार के खिलाफ काम कर रहे थे। उस समय के तात्कालीन एसडीएम आरके पांडे को देखकर लगता था कि शहर में ब्रिटिशों का राज है और वो उनके अफसर हैं। उनसे डर कर कई लोग खुलकर विरोध में शामिल नहीं हो पा रहे थे, लेकि न इन लोगों ने भी चुनाव में सरकार के प्रति अपनी नाराजगी जाहिर कर दी। जिससे सत्ता पलट गई थी। कु छ इस तरह से आपातकाल का विरोध और जेपी आंदोलन का समर्थन करने वाले राके श अरुण समाधिया उस समय की परिस्थितियों को बयां करते हैं। राके श समाधिया के पिता विद्या सागर समाधिया भी स्वतंत्रया संग्राम सैनानी थे। राके श समाधिया तरुण शांति सेना में कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के साथ रहकर काम कर रहे थे। राके श समाधिया बताते हैं कि जेपी आंदोलन से पहले जयप्रकाश नारायण उज्जैन जा रहे थे। इस बीच उनका सीहोर स्टेशन पर स्वागत हुआ था। दूर-दूर से लोग आए थे। मैं उनसे पहले से प्रभावित था और उनके आंदोलन से जुड़ना चाहता था। जब आपात काल में मौका मिला तो मैंने कॉलेज में गुपचुप विरोध कि या। हमारे कु छ साथी मिलकर कॉलेज में आपातकाल हटाओ देश बचाओ के नारे लिख देते थे। जिसके बाद पुलिस आती थी और कई अधिकारी आते थे पर वो कभी हमें पकड़ नहीं पाए। आपातकाल में लोगों को अखबार नहीं मिल पाते थे। ऐसे में हम सरकार के विरोध में लिख रहे अखबार यकीन को बांटते थे। अखबार चुपचाप आता था और उसे चुपचाप ही बांट दिया जाता था।
कांग्रेस की फू ट का उठाया फायदा
हमें पुलिस कभी पकड़ नहीं पाई इसका मुख्य कारण कांग्रेस की आपसी फू ट थी। उस समय जिले में उमराव सिंह और अजीज कु रैशी दो बड़े नेता थे। इन दोनों के बीच गुटबाजी थी। जिसका फायदा हमें मिला। कॉलेज में भी गुट बट गए थे। हम उसका फायदा उठा रहे थे। हम कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के साथ रहते और अपना काम भी करते। इस कारण कि सी को कभी हम पर शक नहीं हुआ।