नईदुनिया प्रतिनिधि, सिवनी। छिंदवाड़ा समेत अन्य क्षेत्रों में कफ सिरप से हुई बच्चों की मौत के मामले में राज्य सरकार के निर्देशों के बाद स्वास्थ्य विभाग का अमला बाजार में बिक रही दवाओं की पड़ताल करने मैदान में उतर गया है। निरीक्षण के दौरान खाद्य एवं औषधि प्रशासन के दल को एक थोक दवा विक्रेता के पास से बीते एक साल से भंडारित प्रतिबंधित कोल्ड्रिफ कफ सिरप की 110 बोतलें मिली है, जिन्हें रविवार को औषधि निरीक्षण मनीषा अहिरवार ने मौके पर पहुंचकर जब्त कर लिया है। वहीं दस्तावेजों की जांच में पाया गया कि थोक विक्रेता श्रीराम मेडिकल एजेंसी द्वारा खरीदी गई 110 बाटल कफ सिरप में से एक भी बोतलें का विक्रय नहीं किया गया था।
कटारिया फार्मास्यूटिकल जबलपुर से 31 अगस्त 2024 को खरीदी गई कफ सिरप की सभी बोतलें केवल स्टॉक में रखी थी। सीज किए गए कफ सिरप का बैच नंबर एसआर039 है, जिसका सैम्पल प्रयोगशाला जांच के लिए भेजा जा रहा है। वहीं रविवार को कलेक्टर शीतला पटले के निर्देश पर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. जयपाल सिंह ठाकुर ने रविवार को गूगल मीट से जिले के सभी रिटेल व होलसेल फार्मासिस्टों के साथ बैठक आयोजित की गई। बैठक में केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय व मध्य प्रदेश फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन के निर्देशों के अनुरूप फार्मासिस्टों को अवगत कराया गया।
बैठक में स्पष्ट किया गया कि छिंदवाड़ा के परासिया क्षेत्र में कोल्ड्रिफ सिरप व नेस्ट्रो डीएस सस्पेंशन के सेवन से बच्चों में गंभीर स्वास्थ्य प्रभाव व मृत्यु की घटनाओं को ध्यान में रखते हुए सिवनी जिले में इन दवाओं के विक्रय, भंडारण व वितरण पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया है। इन दवाओं को तुरंत दुकानों से हटाकर संबंधित सप्लायर या डिस्ट्रिब्यूटर को लौटाना आवश्यक है और इसके संबंध में स्वास्थ्य कार्यालय को सूचना देना अनिवार्य है। इसके अलावा क्लोरफेनिरामाइन मलिएट 2 एमजी व फिनायलाफरीन हाइड्रोक्लोराइड 5 एमजी के संयोजन (एफडीसी) के सभी उत्पादों का चार वर्ष से कम आयु के बच्चों में उपयोग पूर्णतः प्रतिबंधित किया गया है। इनका विक्रय केवल वैध रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिशनर के पर्चे पर ही किया जा सकता है। कलेक्टर ने चेतावनी दी कि निर्देशों का उल्लंघन करने पर औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 और औषधि नियमावली, 1945 के तहत कड़ी दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।
बच्चों में कोल्ड्रिफ सिरप व नेस्ट्रो डीएस सस्पेंशन दुष्प्रभाव के मद्देनजर इन औषधियों का सिवनी जिले में भी विक्रय प्रतिबंधित करने के आदेश शनिवार को विभाग ने जारी कर दिया है। सीएमएचओ डा. जयपाल सिंह ठाकुर ने जिले के सभी थोक व फुटकर औषधि विक्रेताओं को निर्देशित किया है कि यदि उनके प्रतिष्ठान में ये औषधियां उपलब्ध हैं, तो 24 घंटे के भीतर स्टाक व पूर्व विक्रय की जानकारी ईमेल या हार्ड कापी के माध्यम से उनके कार्यालय में उपलब्ध कराएं। आम जनता से भी आग्रह किया है कि यदि उन्होंने इन औषधियों का उपयोग किया है, तो तत्काल स्वास्थ्य विभाग को सूचित करें, ताकि प्रभावित बच्चों का समुचित स्वास्थ्य परीक्षण कराया जा सके।
जानकारी के अनुसार जिले में करीब 500 से अधिक दवा दुकानें हैं इसको ड्रग निरीक्षक की छह टीम जांच कर रही है। दुकान में दवा का स्टॉक, सेलिंग व कौन कौन-सी कंपनियों की दवा खासकर सिरप है इसको लेकर जांच की जा रही है। सबसे ज्यादा फोकस बड़े थोक विक्रेता पर है। हालांकि घटना के बाद कई दुकानदारों ने सिरप को छिपा दिया है या उसे दूसरी जगह ठिकाने लगा दिया है। कफ सिरप कोल्ड्रिफ व नेस्ट्रो डीएस सस्पेंशन को विक्रय के लिए प्रतिबंधित किया गया है। इन सिरपों में औद्योगिक साल्वेंट जैस डाइएथिलीन ग्लाइकोल तथा ब्रेक आयल के साल्वेंट पाया जाना बताया गया है। इन सिरप से बच्चों की किडनी खरब हो गई जिससे उनकी मौत हो गई।
ड्रग निरीक्षक मनीषा अहिरवार ने बताया कि बुधवारी में संचालित श्रीराम मेडिकल एजेंसी से मिली कोल्ड्रिफ कफ सिरप की 110 बाटलें को फ्रिज किया गया है, इसका सैम्पल जांच के लिए भेजा जा रहा है। पिछले साल बुलाई गई कफ सिरप की एक भी बाटल का विक्रय थोक विक्रेता द्वारा नहीं किया गया है। अन्य दवा दुकानों व थोक विक्रेताओं की दुकानों का निरीक्षण भी किया जा रहा है। अन्य किसी जगह प्रतिबंधित कफ सिरप का स्टॉक होने की जानकारी नहीं मिली है। जानकारी के अनुसार कफ सिरप से बच्चों की मौत के बाद कुछ डॉक्टरों ने तो कफ सिरप प्रिस्कि्रप्शन में लिखना बंद कर दिया है तो कुछ ने कम कर दिया है। इसके बदले में डॉक्टर टेबलेट या फिर कैप्सूल लिख रहे हैं।
जिले में बाहर से आकर बगैर पंजीयन दवाएं लिखने वाले डाक्टरों पर स्वास्थ्य विभाग का कोई नियंत्रण नहीं है। संबंधित डॉक्टरों का न तो सीएमएचओ कार्यालय में पंजीयन है और न ही दुकान या क्लीनिक का रजिस्ट्रेशन। इसके बाद भी वे बेधड़क बाहर से आकर लोगों का इलाज कर रहे हैं। यहां तक की कुछ डॉक्टर अपने साथ दवाएं साथ में लाते हैं। इसको लेकर भी जांच नहीं की जा रही है। बताया जा रहा है कि कफ सिरप से बच्चों की मौत को लेकर दवा दुकान संचालकों में भी हड़कंप है। उन्होंने कई कंपनियों की दवा का स्टॉक किया है और कुछ दिनों से डॉक्टर सिरप को लेने की सलाह कम ही दे रहे है। इससे दवा कारोबारी भी चिंतित है।
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सिवनी सीएमएचओ डॉ. जयपाल सिंह ठाकुर ने कहा कि कफ सिरप से बच्चों की मौत की घटना को लेकर ड्रग विभाग की टीम जांच कर रही है। सभी दुकानों की जांच हो रही है। दुकानदारों को निर्देश दिए गए हैं कि वे प्रतिबंधित दवा को नहीं बेचें।