नईदुनिया प्रतिनिधि, सिवनी। सिवनी जिले में 6 अक्टूबर की सुबह डेढ़ घंटे की जोरदार बारिश से शहर के निचले क्षेत्रों में जल भराव की स्थिति निर्मित हो गई है। विवेकानंद वार्ड, लड्ईया मोहल्ला, जायसवाल कॉलोनी, रेलवे स्टेषन से लगी झुग्गी-बस्ती क्षेत्रों में तेज बारिश का पानी घरों में घुसने के कारण लोगों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। पिछले साल भी इन क्षेत्रों में जोरदार बारिश से दो दर्जन से अधिक रहवासियों की गृहस्थी क्षतिग्रस्त हो गई थी।
उल्लेखनीय है कि 5 अक्टूबर की सुबह भी एक घंटे में डेढ़ इंच से अधिक वर्षा हुई थी। दो दिनों से लगातार हो रही तेज बारिश व आंधी तूफान ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। मानूसन सत्र बीते जाने के बावजूद जिले में जारी तेज वर्षा व आंधी ने धान, मक्का फसल को भारी नुकसान की आशंका बढ़ गई है।
इधर, मानसून सत्र समाप्त होने पर उच्चतम स्तर 519.38 मीटर तक लबालब भर चुके संजय सरोवर भीमगढ़ बांध में पानी की आवक को देखते हुए दो गेट एक-एक मीटर खोलकर 10790 घनफिट पानी नदी में छोड़ा जा रहा है। बांध के गेट खोलने से पहले नदी तट के आसपास रहने वाले लोगों को सतर्क रहने की चेतावनी जल संसाधन विभाग ने जारी कर दी है।
कार्यपालन यंत्री पीएन नाग ने बताया कि भीमगढ़-डेम का जलस्तर 519.38 मीटर तक पहुंचने व बांध का नियंत्रित रखने के लिए सोमवार 6 अक्टूबर को सुबह 10 बजे भीमगढ़ बांध के गेट क्रमांक 5 वर 6 को एक एक मीटर खोलकर लगभग 10,790 घनफुट पानी प्रति सेकंड (305 क्यूमेक्स) की दर से जल वैनगंगा नदी में प्रवाहित किया जा रहा है। नदी किनारे रहने वाले नागरिकों, किसानों व मछुआरों से अपील की है कि वे सतर्क रहें और नदी क्षेत्र से दूर रहें। अधिक वर्षा की स्थिति में गेट किसी भी समय और खोले जा सकते हैं।
मुख्यालय सहित जिले के ग्रामीण अंचलों में झमाझम बारिश से जनजीवन सहित फसलें प्रभावित हैं। जिले में अब तक लगभग 1400 मिमी वर्षा हो चुकी है। बीते दो दिनों से जिले में रूक-रूककर हो रही जोरदार बारिश के चलते कई नदी नाले उफान में है। जीवनदायिनी वैनगंगा नदी का जल स्तर बढ़ गया है। वहीं संजय सरोवर भीमगढ़ बांध लगातार वर्षा से 519.38 मीटर तक भर गया है। जुलाई से अब तक कई भीमगढ़ बांध के गेट 8 बार खोलकर पानी छोड़ा जा चुका है। सितंबर समाप्त हो गया है, लेकिन वर्षा का दौर थमने का नाम नहीं ले रहा।
बीते दिनों धूमा क्षेत्र में चक्रवाती बारिश के चलते कम दिन वाली धान की फसल प्रभावित होने पर किसानों ने सर्वे कराने की मांग की थी। अक्टूबर माह में हो रही वर्षा से धान की पकी फसल को क्षति के साथ धान बदरंगी व काली होने की संभावना बढ़ गई है। मक्का उपज पर भी इसका असर पड़ेगा। कृषि विज्ञानियों का कहना है कि तेज बारिश का असर फसलों पर पड़ना स्वभाविक है, फिलहाल जिले के किसी क्षेत्र में बड़े नुकसान की जानकारी अभी सामने नहीं आई है।