
Indian Army Day : सिवनी। भारतीय सेना दिवस पर पूरा देश थल सेना की वीरता, जांबाजी, अदम्य साहस, शौर्य और उसकी कुर्बानी को याद करता है। 15 जनवरी को देश में 75वां भारतीय सेना दिवस मनाया जाएगा। जिले के वीर जवान भारतीय सेना में शामिल होकर मातृभूमि की सुरक्षा में अपना योगदान दे रहे हैं। फिलहाल सिवनी के 200 से ज्यादा नौजवान भारतीय सेना के अलग-अलग पदों पर तैनात होकर अपनी सेवाएं दे रहे हैं।वहीं विभिन्न पदों पर सेवा देकर 273 सैनिक सेवानिवृत्त हो चुके हैं ।
जिले के 90 प्रतिशत नौजवान थल सेना में सैनिक से लेकर अधिकारी पद पर कार्यरत हैं। जबकि 10 प्रतिशत वायु सेना व नौ सेना में तैनात होकर अपने अदम्य साहस का परिचय दे रहे हैं। 15 जनवरी को सेना मुख्यालय के साथ-साथ देश के अन्य हिस्सों में सैन्य परेड और शक्ति प्रदर्शन के अन्य कार्यक्रमों का आयोजन करके सेना दिवस मनाया जाता है।
गौरतलब है कि भारतीय थल सेना दिवस फील्ड मार्शल केएम करियप्पा के सम्मान में मनाया जाता है।1899 में कर्नाटक के कुर्ग में जन्म लेने वाले फील्ड मार्शल करियप्पा ने सिर्फ 20 साल की उम्र में ब्रिटिश इंडियन आर्मी में नौकरी शुरू की थी। साल 1953 में करियप्पा सेना से रिटायर हो गए थे। भारत के इतिहास की सबसे महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक घटना वो है, जब फील्ड मार्शल केएम करियप्पा आजाद भारत के पहले भारतीय सेना प्रमुख 15 जनवरी 1949 को बने थे।1947 में करियप्पा ने भारत-पाक के बीच हुए युद्ध में भारतीय सेना की कमान संभाली थी और पाकिस्तान को धूल चटा दी थी।
सिवनी जिले के लिए गौरव की बात है कि देश की सुरक्षा में लगे विभिन्ना एजेंसियों में तैनात रहते हुए कई वीर जवानों ने नागरिकों की सुरक्षा के लिए आतंकवादी व नक्सलबादी हमलों में अपने प्राणों की आहूति तक दे दी।वहीं माृतभूमि की रक्षा के लिए समर्पित भूतपूर्व सैनिक युवाओं को भारतीय सेना तक पहुंचने का रास्ता दिखा रहा है।भारतीय सेना में सिपाही से लेकर सुबेदार मेजर और अधिकारी वर्ग में लेफ्टिनेंट कैप्टन से लेकर कर्नल पद तक जिले के नौ जवान पहुंचे हैं।
इनका कहना है
हम सुरक्षित हैं, क्योंकि सरहद पर सेना जागृत है। भारतीय सेना दिवस यानि की सेना के शौर्य, वीरता और उनकी सहादत को सलाम करने का दिन है। सैनिकों के एक-एक कदम से सरहदों की सुरक्षा का वचन झलकता है।जिले के 200 से ज्यादा वीर सपूत भारतीय सेना में पहुंचकर दिनरात सीमाओं की सुरक्षा कर रहे हैं।जिले के सबसे ज्यादा नौ जवान थल सेना में कार्यरत हैं।
एनएस चौहान, कल्याण संयोजक, जिला सैनिक कल्याण विभाग सिवनी
इन्होंने दिया बलिदान
शहीदों के बलिदान व वीरता को आज भी लोग याद करते हैं।अपना शौर्य व पराक्रम दिखाने वाले तीनों शहीद सीआरपीएफ की अलग अलग बटालियन में तैनात रहे।इसमें बरघाट की वीर बाला बिंदु कुमरे और घंसौर के दो नौजवान फत्तेसिंह कुड़ोपा व प्रवीण सिंह राजपूत शामिल हैं।बरघाट के जावरकाठी गांव में पली बढ़ी जन्मी बिंदु कुमरे ने 16 जनवरी 2001 में श्रीनगर एयरपोर्ट के गेट नं 1 में हुए फियादीन हमले में शहादत दी थी।सीआरपीएफ 88 एम बटालियन में चार साल तक तैनात रही बिंदु कुमरे की वीरता को क्षेत्रवासी आज भी भूल नहीं पाए हैं। 7 अपै्रल 1970 में जन्मी बिंदु कुमरे के पराक्रम और शौर्य से जावरकाठी गांव गौरान्वित है। आज भी लोग 16 जनवरी को गांव में बनाए गए शहीद बिंदु कुमरे के स्मारक पहुंच श्रद्धांजलि देकर उसकी वीरता को याद करते हैं। इस दिन गांव में विभिन्ना कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।? ?
फत्तेसिंह कुड़ोपा
छत्तीसगढ़ के सुगमा में सर्चिग के दौरान मुठभेड़ में नक्सलवादियों की गोली सीने पर झेल शहीद हुए घंसौर कटिया के फत्तेसिंह कुड़ोपा क्षेत्र के ग्रामीणों के लिए आदर्श हैं। सिपाही के तौर पर 3 मार्च 2016 को वीरगति प्राप्त करने वाले कुड़ोपा नक्सलियों के गढ़ में काम कर रही सीआरपीएफ की 208 कोबरा कमांडो बटालियन में तैनात थे। कटिया गांव में पले बढ़े कुड़ोपा का जन्म 12 मई 1984 को हुआ था। 2004 में कुड़ोपा को बटालियन में कोबरा कमांडो के तौर पर भर्ती किया गया था। क़ुडोपा की बुजुर्ग मां वैजंती और बहन कलावती कटिया गांव स्थित पैतृक घर में रहते हैं।फत्तेसिंह की शहादत के बाद बहन कलावती को जिला प्रशासन की अनुशंसा पर एसडीएम कार्यालय में लिपिक के पद पर नियुक्त किया गया है।कलावती बताती हैं किफत्तेसिंह की वीरता और साहस देखकर उनके बटालियन के लोग हैरान थे।प्रशिक्षण के दौरान फत्तेसिंह को गृह मंत्रालय की ओर से मैडल देकर सम्मानित भी किया था।
प्रवीण सिंह राजपूत
श्रीनगर के सीआरपीएफ बामिना कैंप में 28 नवंबर 2012 की रात आतंकी हमले में शहीद प्रवीण सिंह राजपूत को आज भी उसकी वीरता के लिए याद किया जाता है। डयूटी के दौरान कैंप की रक्षा करते हुए आतंकी हमले में प्रवीण सिंह ने अपने प्राणों का बलिदान दिया था। घंसौर के भिलाई गांव में जन्मे प्रवीण सिंह को 13 जून 2011 में सीआरपीएफ की 73 बटालियन में भर्ती किया गया था। दो बहनों व भाइयों में बड़े प्रवीण सिंह की वीरता के किस्से परिवार को आज भी याद हैं। वीर प्रवीण सिंह की याद में भिलाई गांव में शहीद स्मारक बनाया गया है। जहां शहीद को याद करने व श्रद्धांजलि अर्पित करने लोग पहुंचते हैं। शहीद प्रवीण सिंह के छोटे भाई प्रशांत सिंह राजपूत को जिला प्रशासन की अनुशंसा के बाद घंसौर के तहसील दफ्तर में लिपिक के पद पर नियुक्त किया गया है। शहीद के पिता शानसिंह राजपूत बताते हैं कि प्रवीण सिंह की दो बड़ी बहनों प्रीति व प्रियंका का विवाह हो चुका है। माता श्यामा बेटे प्रशांत के साथ वे अपने पैतृक घर में सामान्य जीवन व्यतीत कर रहे हैं। प्रवीण की वीरता से प्रेरित कई नौजवान सेना और अर्द्धसैनिक बल में भर्ती के लिए प्रयासरत हैं। प्रवीण की तरह गांव व क्षेत्र के नौजवान सेना में जाकर देश की सेवा करने का जज्बा रखते हैं।