श्याम सोनी नईदुनिया सिवनी()। मध्य प्रदेश के सिवनी में स्कूलों में शिक्षकों की कमी है। जिले के केवलारी ब्लाक के प्राथमिक शाला चावरमारा में तस्वीर बिल्कुल विपरीत है। इस विद्यालय में दर्ज संख्या महज एक है। यहां केवल एक छात्रा अध्ययनरत है, जो इस वर्ष कक्षा तीन में है। वह बीते तीन वर्ष से अपनी कक्षा में अकेली है। बावजूद इसके शिक्षा विभाग का कारनामा यह है कि यहां एक प्रधान पाठक, एक प्राथमिक शिक्षक और मध्याह्न भोजन के लिए एक रसोइया तैनात हैं।
लगभग साढ़े तीन सौ लोगों की आबादी वाले चावरपाठा गांव में करीब 22 बच्चे हैं। इनमें से स्कूल जाने योग्य बच्चे बस के जरिए निजी स्कूल में पढ़ने के लिए जाते हैं। यहां राजनंदनी बरमैया ही एकमात्र छात्रा है जो गांव के स्कूल में पढ़ रही है। शिक्षा विभाग राजनंदनी को शिक्षा व अन्य सुविधाएं देने के लिए हर महीने करीब डेढ़ लाख रुपये बीते तीन वर्ष से खर्च कर रहा है। इस अजग-गजब व्यवस्था के तहत राजनंदनी को पढ़ाने के लिए स्कूल में पूरा स्टाफ है।
जिम्मेदार कहते हैं कि विभागीय निर्देशों के मुताबिक दस से कम बच्चे वाले विद्यालय को समीप के स्कूल में मर्ज करने का प्रविधान है। ऐसे स्कूलों की सूची तैयार है। राज्य शिक्षा केंद्र ने जिले को ही ऐसे स्कूलों को मर्ज करने की जिम्मेदारी दे दी है। इस संबंध में कार्रवाई जारी है। केवलारी ब्लाक के अंतर्गत आने वाले विद्यालय में तीन वर्षों से विद्यार्थी के रूप में एकमात्र राजनंदनी पढ़ाई कर रही हैं।
विकासखंड केवलारी की ग्राम पंचायत खैरा के अंतर्गत शासकीय प्राथमिक शाला चावरमारा में चार कक्ष व एक बरामदा है। यहां करीब आधा किलोमीटर दूर से राजनंदनी बरमैया पढ़ने आती है। स्कूल में न तो उसकी कोई सहेली है और ना ही आधी छुट्टी में खेलकूद ओ लिए कोई साथी। वो दोपहर में अकेली मध्यान्ह भोजन करती है। इस अकेली छात्रा को पढ़ाने के लिए प्रभारी प्रधान पाठक चमरू प्रसाद रजक, एक प्राथमिक शिक्षक संपत लाल मर्सकोले का प्रति माह वेतन लगभग डेढ़ लाख बनता है। वहीं एक रसोइया के वेतन के अलावा स्कूल भवन के रखरखाव और अन्य व्यय के रूप में भी काफी राशि खर्च हो रही है।
जिन स्कूलों में दर्ज संख्या 10 या 10 से कम है। ऐसे स्कूलों को बंद कर वहां दर्ज विद्यार्थियों को आसपास के अन्य स्कूलों में दाखिला दिए जाने का प्रविधान है। चावरमारा स्कूल से लगे गांव रोशान व कंडीपार के स्कूल में भी छात्रों की संख्या काफी कम है। ऐसी स्थिति में इन स्कूलों को बंद कर यहां जो बच्चे दर्ज हैं, उन्हें आसपास की अन्य स्कूलों में दाखिला कराए जाने की मांग भी ग्रामीणों ने की है। इससे पूर्व भी माल्हनवाड़ा में संचालित स्कूल में छात्र संख्या कम होने पर दो साल पहले यहां के विद्यार्थियों को अन्य स्कूलों में मर्ज किया गया था।
विकासखंड- स्कूल
जिले में 10 से कम छात्र संख्या वाले स्कूलों को मर्ज करने की कार्रवाई की जा रही है। जिले में ऐसे 130 प्राथमिक स्कूल हैं। कई स्कूलों में एक व पांच से कम छात्र संख्या है। कई स्कूल वनग्राम में हैं। ऐसे स्कूलों के बच्चों को दूसरे स्कूल में मर्ज करने पर बच्चों को अधिक दूरी व साधन नहीं होने के कारण स्कूल पहुंचने में दिक्कत हो सकती हैं। इसलिए मर्ज करने के पूर्व इसका भी ध्यान रखा जा रहा है कि बच्चों को स्कूल पहुंचने में कोई परेशानी न हो।
महेश बघेल, जिला परियोजना समन्वयक-सिवनी