
नईदुनिया प्रतिनिधि, सिवनी। धान उपार्जन ने जिले में रफ्तार पकड़ ली है। स्लाट बुक कराने वाले 46740 किसानों में से 27530 ने केंद्रों में अपनी उपज बेच दी है। अब तक 1.69 लाख मीट्रिक टन धान केंद्रों में खरीदा जा चुका है। जबकि 1.10 लाख मीट्रिक टन धान गोदामों में जमा हो चुका है। उपार्जित धान के बदले 239 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की गई है, इसमें से 165 करोड़ रुपये का भुगतान किसानों के खातों में पहुंच गया है। शेष राशि के भुगतान की प्रक्रिया चल रही है। जिले में 91 उपार्जन केंद्रों में धान उपार्जन का कार्य जारी है। 20 जनवरी तक धान उपार्जन होना है। गड़बड़ियों को रोकने सतर्कता से नागरिक आपूर्ति निगम, खाद्य आपूर्ति विभाग का राजस्व विभाग की टीमें केंद्रों में पहुंचकर जांच कर रही हैं।
गुणवत्ता मानक के अनुसार केंद्र में धान खरीदने व तौलने के निर्देश समिति प्रबंधकों को दिए गए हैं। उपार्जन के दौरान 1196 मीट्रिक टन धान को रिजेक्ट किया गया था, इमसें से 818 मीट्रिक टन धान अपग्रेट कर लिया गया है। शेष धान को गुणवत्ता मानकों के अनुसार अपग्रेट कराया जा रहा है। 1 दिसंबर से समर्थन मूल्य पर धान उपार्जन प्रारंभ किया गया था। हालाकि 15 दिसंबर के बाद किसानों की संख्या केंद्रों में बढ़ना शुरू हुई है। वर्तमान में मैदान स्तरीय केंद्रों के परिसर से धान का उठाव नहीं होने के कारण किसानों को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
उल्लेखनीय है कि जिले के 61051 किसानों ने पंजीयन कराया है। 91 केंद्रों पर धान उपार्जन का कार्य चल रहा है। आजीविका समूहों की मनमानी पर रोक लगाने नागरिक आपूर्ति निगम व प्रशासन सख्ती से कार्रवाई में जुट गया है, ताकि गड़बड़ी की संभावनाओं पर पूरी तरह विराम लगाया जा सके। मिलर्स द्वारा केंद्रों से धान का उठाव नहीं करने पर परिवहनकर्ता की मदद से धान का परिवहन किया जा रहा है। विभागीय अधिकारियों के अलावा जिला पंचायत सीईओ व राजस्व अधिकारियों द्वारा लगातार उपार्जन केंद्र पहुंचकर व्यवस्थाओं को देखा जा रहा है। बाहर से आ रहे धान पर लगाई रोक धान के खेल में कुछ बड़े व्यापारी बाहर की धान बुलवाकर कुचिया व्यापारियों को बेच देते हैं।
यही धान उपार्जन केंद्र प्रभारियों से सांठ-गांठ कर बेच देते हैं। बाहर की धान भी दूसरे किसानों के नाम पर बिक जाता है। पूर्व से ही कुचिया व्यापारी ऐसे किसानों को अपने पक्ष में ले लेते है जिनका धान का रकबा कम था, लेकिन पंजीयन में रकबा अधिक बताया गया या फिर जिनके खेत में धान नहीं लगा। लेकिन पंजीयन धान का हुआ। ऐसे किसानों के पंजीयन पर धान बिक जाता है। किसान के खाते में पैसा आने के बाद कुछ कमीशन देकर बाकी पैसा कुचिया व्यापारी ले लेता है। हर साल कुचिया व्यापारी बाहर की धान लाकर केंद्रों में खपा देते हैं। यूपी में धान 1800 से 1900 रुपये प्रति क्विंटल में मिल जाता है। उसी धान को सिवनी बुलवाकर समर्थन मूल्य 2369 रुपये क्विंटल के मान से बेच दिया जाता है।
बीते दिनों संयुक्त दल ने व्यापारियों के गोदामों में बाहर से बुलाकर भंडारित किया गया 605 क्विंटल धान अभिरक्षा में लेकर प्रतिबंधित किया था। इनका कहना है उपार्जन का कार्य केंद्रों में तीव्र गति से जारी है। उपार्जित धान का परिवहन भी लगातार कराया जा रहा है। केंद्रों की सतत निगरानी व निरीक्षण के साथ उपार्जन को सुचारू रखने आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं। अब तक 1.69 लाख मीट्रिक टन धान 27530 किसानों से खरीदा जा चुका है। मनोज पुराविया, प्रभारी जिला प्रबंधक नागरिक आपूर्ति निगम व डीएसओ।