सिवनी (नईदुनिया प्रतिनिधि)। जबलपुर-नागपुर राष्ट्रीय राजमार्ग सात पर जिला मुख्यालय से करीब 15 किमी दूर नागपुर रोड पर स्थित कलबोड़ी मां ज्वाला देवी मंदिर में 13 अक्टूबर को अष्टमी पूजन किया जाएगा। मंदिर के मुख्य पुजारी दुर्गादासनंद बाबा ने बताया कि अष्टमी पर हवन पूजन के बाद कन्या भोजन व भंडारे का आयोजन किया गया है। वहीं ज्वारे कलश विसर्जन के पूर्व ब्रम्हलीन बाबा रतनलाल की परम्परा अनुसार शिष्य दुर्गादासनंद बाबा द्वारा मां ज्वाला देवी की पूजन कर बबूल के कांटे से बनी आसन पर बैठकर डेढ़ घंटे तक मौन ध्यान योग किया जाएगा। साथ ही 39 वर्षीय युवक द्वारा खीले की चौरंग पर बैठकर ध्यान योग किया जाएगा। इस दौरान माताजी की कृपा से जन्म लिए संतानों का मुंडन संस्कार पालना होगा। दुर्गादासानंद बाबा द्वारा खीले की चौरंग पर बैठक 11 प्रकार की योग आसन के साथ ही कपूर व फूलबत्तियों से बने जलते खप्पर अपने पेट पर व दोनों हाथों में रखकर प्रदर्शन किया जाएगा। कुंड की पूजन के बाद कढ़ाई में सवा लीटर तेल गरम कर माता को भोग लगाने अपने हाथों से खौलते तेल से पुड़ी निकालेंगे। पूजन के बाद कलश व जवारों का विसर्जन होगा। कलश रखने वाली माता बहनों को सुहाग सामग्री वितरण की जाएगी।
शारदेय नवरात्र पर मंदिर में सिवनी, छिंदवाड़ा, भोपाल, नागपुर, मुंबई, भंडारा, बालाघाट, गोंदिया, रायपुर, मंडला, भिलाई, जबलपुर, रीवा, दिल्ली, हाथरस, इलाहबाद, नासिक, राजस्थान, नरसिंहपुर, कटनी, लखनऊ, फैजाबाद, अयोध्या जम्मू कश्मीर, कोटा व नेपाल सहित 20 जिलों के 333 अखंड ज्योति मनोकामना कलशों की स्थापना की गई है। दरबार की ओर से 1 कलश, 7 घी कलश, 8 संतान प्राप्ति कलश, 47 सफलता प्राप्ति कलश व 270 खुशी से ज्योति कलश की स्थापना की गई है। मां आदिशक्ति की आराधना में श्रद्घालु लीन हैं। मंदिर में सुबह से देर रात तक भक्त दर्शन व पूजन करने पहुंच रहे हैं। देवी मंदिर को भी आकर्षक ढंग से सजाया गया है।
24 वर्र्षों से कात्यानी मंदिर में जल रही अखंड ज्योत
बंडोल। कात्यानी मंदिर में प्रति वर्ष अनुसार इस वर्ष भी शारदेय नवरात्र पर 173 घृत तथा 280 तेल कलश भक्तों ने रखे हैं। जबलपुर, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, राजस्थान, गुजरात जैसे अनेक में श्रद्घालुओं द्वारा मंदिर में मान्यता के कलश रखे गए हैं 1993 से मंदिर के गर्भ गृह में निरंतर 24 वर्र्षों से अखंड ज्योत घृत की जल रही है। विवाह बाधा निवारण एवं सुयोग्य वर प्राप्ति हेतु प्रतिवर्ष हजारों विवाह योग्य कन्या षष्ठी के दिन पूजन करती है। पंडित राजकुमार शास्त्री पंडित लक्ष्मण हर्षित नरेश क्षीरसागर महाराज तथा अन्य ब्राह्मणों द्वारा 9 दिन तक माता जी का विधिवत पूजन कार्य नित्य सम्पन्न कराया जा रहा है।