शहडोल। संतान की दीर्घायु की कामना लेकर महिलाएं रविवार को हलषष्ठी का व्रत रखने की तैयारी कर रही हैं। इस त्योहार में दिन भर व्रतधारी महिलाएं न तो हल चलाकर उगाई जाने वाली चीजें खाती हैं और न ही नमक का सेवन करती हैं। इसके लिए पसाई के चावल और भैंस के दूध दही व घी का ही इस्तेमाल किया जाता है। साथ ही बांस की डलिया इस पूजन में प्रयोग की जाती हैं। वहीं मिट्टी के बने कुल्हड़ व दीपकों का भी उपयोग होता है। शुक्रवार को बाजार में बांस की डलिया व पसाई के चावल की खरीदी करते हुए पुरूष व महिलाएं दोनो ही नजर आए। रविवार को कोरोना के चलते टोटल लॉकडाउन रहता है जिसके चलते शुक्रवार और आज शनिवार को बाजार में भीड़ नजर आएगी। रविवार को हलषष्ठी व्रत में जो भी सामग्री प्रयोग में आती है उसकी खरीदी करने के लिए लोग बाजारों में जाकर पहले से ही व्यवस्था करते हुए देखे जा रहे हैं ताकि व्रत वाले दिन घर की महिलाओं को परेशान न होना पड़े। दूध दही घी सभी चीजों की व्यवस्था कर ली गई है।
दिया गया है स्पेशल ऑर्डर
हलषष्ठी व्रत रविवार 9 अगस्त को है। महिलाएं अपनी संतान क ी दीर्घायु की कामना को लेकर यह व्रत रखेंगीं। यह पर्व भगवान बलराम के जन्मोत्सव के रूप में भी मनाया जाता है। व्रत धारण करने वाली महिलाएं इस दिन पसाई के चावल और भैंस के दूध का हीसेवन करती हैं। इस दिन के लिए दूध डेयरी वालों ने भी भैंस के दूध को मंगाया है और इसकी डिमांड बढ़ने से रेट भी बढ़ा दिए हैं। षष्ठी पर्व का मुहूर्त रविवार की सुबह चार बजकर अठारह मिनट से लेकर सोमवार की सुबह छह बजकर बयालीस मिनट तक रहेगा। संतान प्राप्ति और संतान की रक्षा के लिए यह व्रत रखा जाता है जिसकी तैयारी की गई है।