नईदुनिया प्रतिनिधि, शहडोल। फास्ट फोर्ट एक्टिवेटेड सिम अभियान के तहत जिले की गोहपारू पुलिस ने ऑनलाइन ठगी से जुड़े बड़े नेटवर्क का पर्दाफाश किया है।
पुलिस ने दो ऐसे शातिर बदमाशों को गिरफ्तार किया है, जो भोले-भाले आदिवासी ग्रामीणों के सीधेपन का फायदा उठाकर उनके बायोमेट्रिक अंगूठे से फर्जी सिम कार्ड एक्टिवेट करते थे और फिर उन्हें अच्छे दामों पर ऑनलाइन ठगी करने वालों को बेच देते थे।
जानकारी के अनुसार, गोहपारू थाना क्षेत्र के ग्राम सरिहट निवासी अमित कुशवाहा साल 2024 से ही अपने आसपास के ग्रामीणों को निशाना बना रहा था।
उसने पड़ोस में रहने वाले मनीष कुशवाहा, मंगल बैगा, मटरू बैगा, राहुल बैगा सहित अन्य ग्रामीणों की पहचान का फायदा उठाकर उनके बायोमेट्रिक अंगूठे से सिम कार्ड एक्टिवेट किए। इन सिम को वह बाहर के ठगों को बेच देता था, जो इनका उपयोग आनलाइन धोखाधड़ी और साइबर अपराध में करते थे।
इसी तरह ग्राम गुड़ारू निवासी अंकुश शाहू भी यही गोरखधंधा चला रहा था, उसने अपने पड़ोस के कमलेश बैगा, अज्जू चौधरी और मुलिया बाई जैसे ग्रामीणों के अंगूठे लगवाकर उनके नाम से सिम एक्टिवेट किए और उन्हें अपराधियों को बेच दिया।
शहडोल पुलिस की साइबर सेल जब फर्जी सिम के जरिए हो रही आनलाइन ठगी की जांच कर रही थी, तब खुलासा हुआ कि जिले के ग्रामीण इलाकों से बड़ी संख्या में ऐसे सिम एक्टिवेट हैं, जिनका उपयोग बाहर के अपराधी कर रहे हैं।
जांच के दौरान अमित कुशवाहा और अंकुश साहू का नाम सामने आया। पुलिस ने दबिश देकर दोनों को गिरफ्तार कर लिया और उनके खिलाफ धोखाधड़ी, जालसाजी व आईटी एक्ट की धाराओं में मामला दर्ज किया।
गोहपारू पुलिस का कहना है कि इन आरोपितों के जरिए कई फर्जी सिम देशभर में ठगों तक पहुंचे थे। इन सिम का इस्तेमाल न केवलआनलाइन ठगी में बल्कि बैंक फ्राड और डिजिटल पेमेंट धोखाधड़ी में भी किया गया है। दोनों से पूछताछ जारी है और आशंका है कि और भी लोग इस नेटवर्क से जुड़े हो सकते हैं।
गोहपारू पुलिस की कार्रवाई ने एक बार फिर यह साफ कर दिया है कि साइबर ठग अब ग्रामीणों की अनभिज्ञता का सहारा लेकर अपराध को बढ़ावा दे रहे हैं। भोले-भाले आदिवासी किसानों की पहचान और अंगूठों का दुरुपयोग करना इस बात का सबूत है कि साइबर अपराधी अपराध की जड़ें गांव तक फैला चुके हैं। यह गिरफ्तारी न सिर्फ एक बड़े ठगी नेटवर्क का भंडाफोड़ है, बल्कि जनता को सतर्क करने का भी बड़ा संदेश है।