शहडोल(नईदुनिया प्रतिनिधि)
जिले के दूरदराज गांवों से आने वाले जरूरतमंद लोगों के लिए शहर में रात बिताने के लिए रैन बसेरा बने हैं,लेकिन इस भीषण ठंड में भी खाली पड़े हैं।नगर पालिका ने जयस्तंभ चौक में एक रैन बसेरा संचालित किया है, लेकिन इसमें सुविधाओं के नाम पर टूटे पलंग और पुराने चादर ही हैं। शौचालय हैं तो उनके दरवाजे टूटे हैं और अंदर की स्थिति बेहद खराब है। अब ऐसे में कोई यहां रूकना भी चाहे तो कैसे रूके। रैन बसेरा के आधे हिस्से में दीनदयाल रसोई ने कब्जा कर रखा है।इस तरह रैन बसेरा गरीबों के काम नहीं आ रहा है, जबकि उनके लिए ही संचालित किया गया है।
बाहर लेटकर रात गुजारते हैं लोगः जिला मुख्यालय में कई लोग ऐसे हैं जो बेघर हैं और फुटपाथ पर ही लेटकर रात गुजारते हैं। जब उनसे रैन बसेरा में जाकर रात गुजारने को कहा जाता है, लोग तो मना कर देते हैं। एक दिन कलेक्टर के कहने पर कुछ लोग फुटपाथ से उठकर रैन बसेरा में चले गए थे लेकिन यहां की व्यवस्था ठीक नहीं होने के कारण दोबारा यहां आने की हिम्मत नहीं करते हैं। इनका कहना है कि यहां पर पीने का पानी तक उपलब्ध नहीं रहता है।
बदहाल हैं यहां की व्यवस्थाएं : रैन बसेरा की व्यवस्थाओं को लेकर बात करें तो बदहाल स्थिति में हैं। यहां पर जो बेड पड़े हैं वे एकदम खराब हालत में है। चादर और कंबल की स्थिति ठीक नहीं है।कोरोना के प्रोटोकाल के हिसाब से जो व्यवस्था होना चाहिए वे नहीं हैं। यहां पर शौचालय खराब पड़े हैं और पेयजल की स्थिति भी बेहतर नहीं है। ऐसे में कोई यहां आकर रूकना भी चाहे तो उसे चैन की नींद ही नहीं आएगी।
आधे हिस्से में दीनदयाल रसोईःरैन बसेरा के आधे हिस्से पर दीनदयाल रसोई का कब्जा है। तकरीबन चार कमरों में रसोई का काम चलता है। यहां पर एक कमरे में खाना पकाया जाता है एक में सामान रखा रहता है और दो कमरों मे लोगों को भोजन कराने की व्यवस्था है। दीनदयाल रसोई चलाने वाले दिन भर यहां गंदगी करते हैं और इसकी साफ सफाई की जिम्मेदारी नहीं लेते हैं। बाहर से आने वालों को जिस तरह की सुविधाएं रैन बसेरा में मिलना चाहिए वे नहीं हैं। रजिस्टर में जरूर दिखाने के लिए प्रतिदिन तीन से चार नाम की इंट्री रहती है।
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व्यवस्थाओं में काफी सुधार कराया गया है। कुछ कमियां हैं उसे पूरा किया जाएगा। लोग यहां रात गुजारने कम ही आते हैं।
अमित तिवारी
सीएमओ नगरपालिका शहडोल।