
सौरभ पांडेय, शहडोल। भारतीय जनता पार्टी ने देश में 2009 का लोकसभा चुनाव लालकृष्ण आडवाणी के नेतृत्व में लड़ा था। पीएम इन वेटिंग के नाम से आडवाणी देश भर में जगह-जगह चुनावी सभाएं कर रहे थे। आडवाणी के साथ उनकी बेटी पूर्णिमा आडवाणी भी कंधे से कंधा मिलाकर जुटी हुई थीं। आडवाणी का चुनावी रथ 16 अप्रैल 2009 को जैसे ही मध्यप्रदेश के कटनी जिले में पहुंचा वहां एक ऐसी घटना हुई जिसने देश भर में हड़कंप मचा दिया।
चुनावी सभा के दौरान ही भाजपा कार्यकर्ता पावस अग्रवाल ने हवा में चप्पल उछाल दी। घटना के तुरंत बाद भाजपा और सुरक्षा एजेंसियों के कान खड़े हो गए। आनन-फानन में सुरक्षा एजेंसियों ने भाजपा कार्यकर्ता पावस अग्रवाल को हिरासत में ले लिया था। यह घटना आडवाणी के मंच पर चढ़ते ही हुई थी। तब कटनी की सभा में आडवाणी आत्मविश्वास के साथ जनता को साध नहीं पाए थे।
शहडोल में बढ़ा दी थी निगरानी कटनी में आडवाणी पर चप्पल फेंकने की खबर करंट की तरह शहडोल संसदीय क्षेत्र पहुंच चुकी थी। अगली सभा शहडोल के गांधी स्टेडियम में होनी थी। शहडोल में सुरक्षा एजेंसियां हाई अलर्ट हो गई थीं और मंच के आसपास की निगरानी को तत्काल बढ़ा दिया गया था। कटनी से शहडोल के बीच लगने वाले समय के भीतर ही भाजपा और सुरक्षा एजेंसी खुद को आश्वस्त करना चाहती थीं कि कटनी जैसी घटना शहडोल में नहीं दोहराई जा सकेगी।
हमाद्री के पति के पक्ष में आए थे और मां जीत गई थी
2009 का लोकसभा चुनाव शहडोल में भाजपा की तरफ से नरेंद्र मरावी और कांग्रेस की ओर से राजेश नंदिनी के बीच था। तब भाजपा की वर्तमान उम्मीदवार हिमाद्री सिंह का राजनीति से सीधा वास्ता नहीं था। लालकृष्ण आडवाणी शहडोल सीट से उम्मीदवार रहे नरेंद्र मरावी के पक्ष में चुनावी सभा करने शहडोल के गांधी स्टेडियम आए थे। तनाव के बीच आडवाणी ने जनता से नरेंद्र मरावी के लिए वोट मांगा इसके बाद भी वे 12 हजार 415 वोट से चुनाव हार गए थे और हिमाद्री सिंह की मां राजेश नंदिनी सिंह 2 लाख 62 हजार 434 वोट पाकर चुनाव जीत गईं। बाद में हिमाद्री ने भाजपा नेता नरेंद्र मरावी से शादी कर ली और खुद भाजपा में शामिल होकर 2019 का लोकसभा चुनाव भाजपा की टिकट से लड़ रही हैं।
तब आत्मविश्वास से लबरेज नहीं थे आडवाणी
कटनी घटना के बाद आडवाणी को शहडोल संसदीय सीट पर सभा को संबोधित करना था। आडवाणी का आत्मविश्वास डगमगाया लग रहा था। शहडोल की सभा में आडवाणी के भाषण में वह धार नहीं दिखी थी। उन्होंने बहुत ही कम समय में अपना उद्बोधन समाप्त कर दिया था। बेटी पूर्णिमा आडवाणी ने पिता को खूब संबल दिया था। इसके बाद भी आडवाणी के भाषणों में कटनी चप्पल कांड को लेकर असर दिखाई दे रहा था।