नलखेड़ा। नगर के प्राचीन पांडवकालीन चमत्कारिक हनुमान मंदिर पर बुधवार को गुरु पूर्णिमा के मौके पर आस्था का सैलाब उमड़ेगा। गुरु पूर्णिमा पर यहां एक दिनी मेले का आयोजन भी होगा जिसमें नगर समेत आसपास के गांवों से बड़ी संख्या में भक्त पहुंचेंगे और बाबा के दर्शन करेंगे।नगर की पूर्व दिशा की ओर 2 किमी दूर ऊंची पहाड़ी पर स्थित श्री बल्ड़ावदा हनुमान मंदिर है। जहां गुरु पूर्णिमा के दिन मेले का आयोजन होगा। यह चमत्कारी स्थल जिस ऊंची पहाड़ी पर स्थित है, वहां गुरु पूर्णिमा के दिन पहाड़ी पर पत्थरों के नीचे बिच्छू निकलते हैं, जो किसी को भी नहीं काटते।
जानकारों के अनुसार बल्ड़ावदा गांव के नाम से विख्यात मंदिर में द्वापरकालीन विशालकाय मूर्ति प्रतिष्ठित है। हनुमानजी की प्रतिमाएं इसी आकर व स्वरूप में प्रतिष्ठित की जाती थी। इस मंदिर को लेकर यह भी प्रमाण मिलता है कि जब राजा नल विपत्तियों में थे तो भगवान श्रीकृष्ण ने अवंतिका नगरी से 40 कोस दूर पूर्व दिशा की ओर लक्ष्मणा नदी के किनारे स्थित मां बगलामुखी की आराधना करने का परामर्श दिया था। राजा ने अपना मुख्य स्थान श्री बल्ड़ावदा हनुमान मंदिर एवं मां बगलामुखी मंदिर के मध्य रखा था। राजा नल तब प्रतिदिन दोनों स्थानों का साधना करते थे। इसी स्थान पर मेले की परंपरा सैकड़ों वर्ष से चली आ रही है। भक्तों की मान्यता है कि जो भी मन्नात यहा मांगी जाती है वह अवश्य पूरी होती है। प्रचलित किंवदंतियों को ध्यान में रखते
हुए कुछ लोगों द्वारा इस स्थान पर खुदाई कर धन निकालने का प्रयास भी किया गया लेकिन कोई भी इस कार्य में सफल नहीं हो पाया। यहां तक कि खुदाई
कार्य भी नहीं कर पाया।
पहाड़ी के नीचे है खोखलापन श्री बल्ड़ावदा हनुमान जिस पहाड़ी पर स्थित हैं, उसके बारे मे किंवदंती है कि किसी समय प्राकृतिक उथल-पुथल से उक्त खेड़ा गांव भूमिगत हो गया था। नगर के बुजुर्गों के अनुसार सैकड़ों वर्ष पूर्व नलखेड़ा नगर इसी स्थान पर बसा हुआ था। उस समय धूलकोट भूकंप आया था जिसमें संपूर्ण नगर दब गया था। यह मंदिर किसी ऊंचे स्थान पर स्थित था। इसलिए मंदिर का ऊपरी हिस्सा शेष रह गया। जहां आज भी पहाड़ी पर कई स्थानों पर छोटा सा पत्थर फेंकने पर आवाज गूंजती ध्वनि निकलती है, जो सिद्घ
करती है कि पहाड़ी के नीचे खोखलापन है। मंदिर के निर्माण कार्य के दौरान वहां से प्राचीन मुद्राएं भी निकली थीं पहाड़ी के नीचे अपार भंडार भी बताया जाता है।
प्राकृतिक सौंदर्य की
छटा बिखेर रही पहाड़ी
इस पौराणिक स्थल पर पर्यटन विभाग द्वारा सौंदर्यीकरण करवाए जाने के बाद यह मंदिर आकर्षक व भव्य हो गया है। पहाड़ी पर पौधारोपण के बाद वर्षाकाल में यह स्थल अपनी अनुपम प्राकृतिक छटा बिखेर रहा है। सायंकाल के समय डूबते सूर्य की किरणें जब इस पहाड़ी पर गिरती हैं तो यह दृश्य मनमोहक होकर
अलौकिक दिखाई देता है।