-1700 साल पहले डोलनाथ बाबा ने ली थी समाधि
बेहरावल (नईदुनिया न्यूज)। कालापीपल तहसील के बेहरावल का अस्तित्व कई साल पुराना है। इस गांव में करीब 1700 साल पहले डोलनाथ बाबा ने जीवित समाधि ली थी। इस समाधि स्थल का समय के साथ कायाकल्प हुआ और मंदिर बन गया है। इस मंदिर को डोल बाबा के नाम से ही पहचाना जाता है। इसी वजह से गांव को भी जिला, प्रदेश में एक नई पहचान मिली है। प्रतिवर्ष डोल ग्यारस पर मंदिर में बड़ा धार्मिक कार्यक्रम होता है।
ग्रामीणों ने बताया कि हर साल डोल नाथबाबा मंदिर से डोल ग्यारस के दिन 12 डोल (भगवान के विवान) निकलते हैं। इसमें गाजे-बाजे के साथ श्रद्धालु शामिल होते हैं। यह डोल प्रमुख मागोर् से होते हुए तालाब के पास चरणपाद महाराज के यहां पहुंचते हैं। डोल की पूजा-अर्चना कर प्रसादी का वितरण किया जाता है। ग्रामीण बताते हैं कि डोलनाथ बाबा की खासियत यह है कि कोई श्रद्धालु सच्चे मन से मनोकामना लेकर आता है तो उसकी सभी मुराद पूरी होती है। यही वजह है कि आम दिनों में भी डोलनाथ बाबा के दरबार में श्रद्धालुओं की आवाजाही जारी रहती है।
शिक्षा, राजनीति, खेती किसानी में इस गांव का नाम पहले लिया जाता है। गांव में ही सभी तरह की सुविधा मिलने से लोगों को ज्यादा दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ेगा। खास बात यह है कि कई किसान रासायनिक खेती से दूरी बनाकर खुद जैविक खाद तैयार कर जैविक खेती कर रहे हैं। इससे पिछले कुछ साल में गांव में जैविक खेती के रकबे में भी इजाफा हुआ है।
इन कारणों से मिली पहचान
राजनीति में अच्छा कार्य करने से सुभाष लेवे जनपद अध्यक्ष तक बने, जिससे गांव को जिला, प्रदेश स्तर पर एक नई पहचान मिली। गांव के 30 शिक्षक, 03 पटवारी और अन्य लोग सरकारी विभागों में पदस्थ होकर सेवाएं दे रहे हैं, जिससे भी गांव गौरन्वित हुआ है। वर्तमान में इस गांव का शिक्षा का स्तर भी अच्छा होने से हर घर में पढ़े लिखे की संख्या ज्यादा ही मिलेगी।
गांव की मजबूती
रासानयिक खेती के नुकसान को देख किसानों ने जैविक की तरफ किया रूख।
-बैंक होने से लोगों को लेनदेन करने के लिए दूसरी जगह नहीं जाना पड़ता है।
-विकास, सुविधा में भी अव्वल में लिया जाता है गांव का नाम।
-शिक्षित लोगों के शिक्षा के स्तर को बढ़ावा देने से 80 प्रतिशत से हुआ आंकड़ा।
गांव की कमजोरी...
-आयुर्वेद अस्पताल में डॉक्टर, संसाधन का अभाव होने से मरीजों को नहीं मिलता इलाज।
-वाटर लेवल डाउन होने से हर समय रहता है पानी का संकट, लोग उठाते हैं परेशानी।
-सूचना के अभाव में शासन की कई योजनाओं के लाभ से ग्रामीण वंचित हैं।
-कॉलेज नहीं होने से उच्च शिक्षा लेने दूसरी जगह जाना छात्र-छात्राओं की मजबूरी।