
नईदुनिया प्रतिनिधि, शाजापुर। दक्षिण अफ्रीका की टीम की मदद से जिले में कृष्ण मृग और नीलगाय पकड़ने का अभियान जारी है। अभियान में शुक्रवार को 147 कृष्ण मृग पकड़े गये हैं। जबकि इसके पहले तीन बार में 148 कृष्ण मृग पकड़े जा चुके हैं।
इस तरह अब तक कुल 295 कृष्ण मृग दक्षिण अफ्रीका की टीम की मदद और हेलीकाप्टर से हांका लगाकर पकड़े जा चुके हैं। नीलगाय और कृष्ण मृग पकड़ने के लिए जिले में 21 दिवसीय अभियान चलाया जा रहा है। 15 अक्टूबर से इसकी शुरूआत हुई और पांच नवंबर तक अभियान चलेगा।
यह अभियान जिले के राजस्व क्षेत्र में कृष्ण मृग एवं रोजडों के द्वारा खेतों को नुकसान पहुंचाने की समस्या के निदान के रूप में चलाया जा रहा है। शुक्रवार को शाजापुर जिले के कालापीपल तहसील के लसूड़िया घाघ एवं निपनिया खुर्द में बोमा लगाया गया।
ग्राम लसूड़िया घाघ, निपनिया खुर्द, बदलपुर, पोचानेर, अरनियाकला, बेरछा दातार गांव से शुक्रवार को 147 कृष्णमृग को किसानों के खेतों से पकड़कर अन्यत्र संरक्षित क्षेत्रों/राष्ट्रीय उद्यान के जंगल में छोड़ा गया।
इस अभियान के तहत अभी तक 295 कृष्णमृगौ को पकड़कर अन्यत्र संरक्षित क्षेत्रों/ राष्ट्रीय उद्यान / वन्यजीव अभ्यारण्य वन क्षेत्र में छोड़ा गया। इससे किसानों को होने वाले फसल नुकसान में कमी आएगी और कृषकों की समस्याओं का निदान होगा।
अभियान को लेकर इंटरनेट पर तरह तरह की प्रतिक्रिया लोग दे रहे हैं। कांग्रेस प्रवेश प्रवक्ता अभिनव बारोलिया ने इसे धार्मिक भावनाओं के विपरीत बताया। वहीं अन्य कुछ लोगों ने भी मासूम कृष्णमग को चीतों का भोजन बनाने के लिए गांधी सागर अभयारण्य में छोड़ने पर सवाल उठाए। अभियान पर हो रहे करोड़ों रुपये खर्च को लेकर भी लोग सवाल उठा रहे हैं। कई लोग तो यह तक लिख रहे हैं कि जिले के किसान ही इन्हें पकड़ लेते अगर वन विभाग अनुमति देता तो।
45 कृष्ण मृग पहली बार में पकड़े
34 कृष्ण मृग दूसरी बार में पकड़े
69 कृष्ण मृग तीसरी बार में पकड़े
147 कृष्ण मृग चौथी बार में पकड़े
295 कृष्ण मृग अब तक पकड़े गये
15 अक्टूबर से प्रारंभ हुआ है अभियान
05 नवंबर तक चलेगा अभियान
21 दिवसीय है अभियान
400 कृष्ण मृग कुल पकड़े जाने हैं
100 नीलगाय भी पकड़ेंगे