पड़ाना(नईदुनिया न्यूज)। कलयुग में लोग तरह-तरह की बातें करते हैं। ऐसे में इसे लेकर हर कोई चिंतित दिखाई देता है कि आने वाला समय कैसा होगा, लेकिन घबराने की कोई
जरूरत नहीं है, आप धर्म के मार्ग पर पूरी निष्ठा के चलते रहिए, कलयुग आपका कुछ नहीं बिगाड सकता है। धर्म के मार्ग पर चलकर ही कलयुग पर विजय प्राप्त की जा सकती है।
उक्त उदगार पर्यावरण मित्र मंडल के द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के प्रथम दिन कथावाचक सुश्री वर्षा नागर ने प्रवचन करते हुए व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि ब्रह्मवैवर्त पुराण में कलयुग के बारे में बहुत कुछ बताया गया है, वही अभी कलयुग चल रहा है, और द्वापरयुग के समाप्ति के बाद कुल 5000 बर्ष बीते हैं। अधर्म फैलना शुरू हो गया है, ऐसे में अब इंसानो ने एक दूसरे पर भरोसा करना बंद कर दिया है। कलयुग में ऐसा समय भी आएगा जब इंसान की उम्र बहुत कम रह जाएगी, युवावस्था समाप्त हो जाएगी। आने वाले समय में 20 वर्ष की उम्र में ही बुढ़ापा आ जाएगा। कलियुग में समाज हिंसक हो जाएगा। जो लोग बलवान होंगे उनका ही राज चलेगा। मानवता नष्ट हो जाएगी। रिश्ते खत्म हो जाएंगे। एक भाई दूसरे भाई का ही शत्रु हो जाएगा। उन्होंने कहा कि माता पिता की सेवा कर लो, आपको कहीं पर भी मंदिर जाने कि जरूरत नहीं है। किताबो से ज्ञान मिल सकता है लेकिन विवेक तो जीवन में ठोकर खाने से ही आता है। जीवन के हर कष्ट को भागवत कथा के श्रवण मात्र से ही जीवन का उद्घार हो सकता है। प्रत्येक व्यक्ति प्रतिदिन कम से कम भागवत कथा के दो श्लोक का अध्ययन जरूर करें एवं उनका अर्थ भी समझे जीवन का सबसे बड़ा संतोष आपको भागवत कथा में ही मिल जाएगा और आपका जीवन सफल हो जाएगा। इस आपाधापी के युग में हर कोई अपनी आत्मा से ही प्रतियोगिता कर रहा है लेकिन आत्मा तो अमर है वहां ना तो कभी जीत सकते हैं ना कभी हार सकते हैं।
चिंता नहीं, चिंतन करिएः कथावाचक सुश्री नागर ने कहा कि हर इंसान चिंता में डूबा हुआ है, हर कोई दुखी है, बिना वजह लडाई झगडे बड़ रहे है, चोर अपराधियो की संख्या बढ रही है। लेकिन इन सब से बचने के लिए हमे चिंता नहीं चिंतन करना पड़ेगा, तब ही हम लोग सुखी होंगे।
बुजुर्गो के पास बैठा करो थोड़ाः सुश्री नागर ने कहा कि सभी बहुरानिया अपने सास ससुर की सेवा करें, उनके बधो बुजुर्गो के पास बैठे ताकि उनको थोड़ा संस्कार मिल जाए। उनके पास ज्ञान का भंडार है। ज्ञान प्राप्त करने के लिए हमें कहीं जाने की जरूरत नहीं है हमारे बुजुर्गों से अच्छा कोई ज्ञान हम संस्कार नहीं दे सकता। कथा के प्रथम दिन सादनखेडी रोड स्थित उौन वाली मैया के दरबार से मुख्य यजमान यशवंत माली ने सपत्नीक पूजा पाठ कर, कलश यात्रा के साथ चल समारोह प्रारंभ हुआ। जो गोया, सदर बाजार होते हुए झिरी स्थान पहुंचा। चल समारोह में महंत कौशल किशोर दास जी एवं सुश्री वर्षा नगर का जगह-जगह पुष्प वर्षा से स्वागत किया गया। इस अवसर पर नारायण परमार, मोहन परमार, आत्माराम माली, मुकेश परमार, दिनेश परमार, रमेशचंद माली, रामबाबू गुर्जर, जितेंद्र सक्सेना, राजेंद्र परमार, पंकज विश्वकर्मा, राजेश खाती, हरिओम गोस्वामी सहित बड़ी संख्या में धर्म प्रेमियों उपस्थित थे।