
'नातरा और झागड़ा प्रथा समाज के लिए खतरनाक, बचाना जरूरी'
- कॉलेज में बाल विवाह और नातरा-झगड़ा मुक्त राजगढ़ अभियान के तहत जागरूकता रैली
सारंगपुर (नईदुनिया न्यूज)। कुछ लोग द्वारा बच्चों की शादियां बचपन में ही तय कर दी जाती हैं। कई बार बचपन में ही शादी हो जाती है तो कभी सगाई करके रिश्ता पक्का कर लिया जाता है। उम्र कम होने से बच्चियां ससुराल नहीं जाती या अन्य कारणों के चलते विवाद की स्थिति बन जाती है। विवाद में लड़का पक्ष लड़की पक्ष के लोगों से झगड़ा के रूप में मोटी रकम मांगता है। रकम नहीं चुकाने पर गांव में आगजनी की घटनाओं को अंजाम दिया जाता है। इसका हर्जाना भी लड़की पक्ष को ही चुकाना पड़ता है। इसे ही झगड़ा प्रथा कहते हैं। वहीं एक जगह शादी तय होने के कारण लड़की यदि दूसरे से शादी करती है तो उसे नातरा प्रथा कहते हैं। नातरा और झागड़ा प्रथा समाज के लिए खतरनाक है। इससे समाज को बचाना जरूरी है।
यह संदेश मंगलवार को सारंगपुर रेडक्रॉस सोसायटी के तत्वाधान में शासकीय स्वामी विवेकानंद महाविद्यालय द्वारा बाल विवाह और नातरा-झगड़ा मुक्त राजगढ़ अभियान के तहत निकाली गई जागरूकता रैली को संबोधित करते हुए प्राचार्य देवेंद्रपालसिंह राठौड़ ने गदिया। उन्होंने इन कु प्रथाओं से दूर रहने का ग्रामीणों को समझाईश के माध्यम से संदेश दिया। रैली कॉलेज से शुरू होकर के ग्रामीण क्षेत्र कांकरिया रोड, तारांगज क्षेत्र में पहुंची। जहां छात्र-छात्राओं द्वारा भी जागरूकता रैली निकालकर ग्रामीण परिवेश की महिलाओं, बालिकाओं को बाल विवाह और नातरा झगड़ा मुक्त प्रथाओं से अवगत कराया और इससे बचने का संदेश दिया। वरिष्ठ प्राध्यापक प्रो. जेपी शर्मा, प्रो. एआर पाटीदार, डॉ. विमल लोदवाल, डॉ. सोनाली निनामा, प्रो. संगीता गुप्ता, डॉ. भावना उज्जालिया, डॉ. अर्चना वर्मा आदि मौजूद थे।
'इच्छाएं अगर ज्यादा रही तो प्रभु का सान्निाध्य हमें नहीं मिलेगा'
- साप्ताहिक भागवत कथा के दौरान कृष्णा बहन प्रवचन दिए
सारंगपुर (नईदुनिया न्यूज)। इस दुनिया में आने के बाद ही मनुष्य की इच्छा, वासनाओं की शुरुआत तो होती है लेकि न इसका अंत प्रभु की शरण में जाने के बाद ही होता है। इच्छाएं अगर ज्यादा रहीं तो प्रभु का सान्निाध्य हमें नहीं मिलेगा। दुनिया में यदि मनुष्य इच्छा वासनाओं का दमन करते हुए प्रभु को पाने का प्रयास करे तो वह सफलता प्राप्त करेगा। यह बात आध्यात्मिक सत्संग समिति द्वारा आयोजित श्रीमद्भागवत कथा में कथावाचक कृष्णा बहन ने कही। उन्होंने कहा कि जब मनुष्य परमात्मा के शरणागत हो जाएगा, उसी दिन उसका बेड़ा पार हो जाएगा। भौतिकता से परे होकर अपने आपको प्रभु का अंश मान लेंगे, तब हमें आत्मज्ञान हो जाएगा और फिर सारा संसार हमारा होकर जीवन हमारा धन्य हो जाएगा। कथा के दौरान पूर्व नपाध्यक्ष पं. ललित पालीवाल ने भागवत महापुराण की महाआरती की। इस अवसर पर वयोवृद्ध समाजसेविका रुकमणी देवी, माली समाज अध्यक्ष ओम पुष्पद, बाबुलाल गुर्जर, सतीश राठौर, कमल राठौर, मांगीलाल राजपूत आदि मौजूद थे।