जिले में चल रही समर्थन मूल्य पर खरीदी
शाजापुर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। जिले में समर्थन मूल्य पर उपज विक्रय का दौर चल रहा है। इस दौरान सबसे ज्यादा गेहूं की आवक हुई है तो कुछ मात्रा में चना भी बिकने आया, लेकिन मसूर व सरसों की आवक अब तक सिफर ही रही है, जबकि खरीदी को जल्द ही एक माह होने वाला है।
वर्तमान रबी सीजन में सबसे ज्यादा उत्पादन गेहूं का हुआ है। इसके पीछे कारण गेहूं का रकबा अन्य फसलों से सबसे ज्यादा एक लाख 90 हजार हेक्टेयर होने के साथ ही अधिकांश समय अनुकूल मौसम, पर्याप्त पानी व बिजली की सतत आपूर्ति सहित अन्य कारण हैं, लेकिन इस बार गेहूं के दाम बाजार में औसतन कम होने से किसान सरकारी खरीदी के प्रति रुचि ज्यादा दिखा रहे हैं। सरकारी खरीदी केंद्रों पर 1975 रुपये क्विंटल की दर से गेहूं उपज की खरीदी केंद्रों पर की जा रही है। जिले में समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीदी 27 मार्च से शुरू की गई। पहले यह खरीदी 5 मई तक चलना था, लेकिन शासन द्वारा खरीदी अवधि को बढ़ाकर 15 मई तक कर दी है, क्योंकि कोरोना संकट को देखते हुए सीमित संख्या में बुलाए जा रहे हैं। जिले में खरीदी के लिए करीब 93 केंद्र बनाए गए हैं। अब तक 20 लाख क्विंटल के लगभग गेहूं की खरीदी हो चुकी है।
शासन द्वारा समर्थन मूल्य पर चना, मसूर व सरसों की भी खरीदी की जा रही है। इसके लिए 28 केंद्र बनाए गए हैं। जानकारी अनुसार अब तक जिले में एक हजार क्विंटल से ज्यादा चना खरीदा जा चुका है। हालांकि यह आवक कम है, वहीं मसूर व सरसों की बात करें तो यह आवक तो अभी तक नहीं हो पाई है। इसका कारण चना, मसूर व सरसों तीनों उपज के दाम बाजार में समर्थन मूल्य के आसपास ही चलना रहा है। वहीं रकबा भी कम होना रहा है। अच्छी क्वालिटी के दाम तो बाजार में और भी ज्यादा रहे हैं। ऐसे में कई किसान उपज को बाजार व मंडियों में पहले ही बेच चुके हैं। इधर अधिकारियों का कहना है कि किसानों को उनकी उपज के दाम बेहतर मिल यही मंशा है। किसान अपनी उपज विक्रय के स्वतंत्र हैं। उल्लेखनीय है कि पंजीकृत किसान ही अपनी उपज सरकारी केंद्रों पर विक्रय कर सकते हैं। जिले में 76 हजार के लगभग किसानों ने पंजीयन कराए हैं। इसमें से 31 हजार से ज्यादा किसानों ने अपनी उपज विक्रय कर दी है।