Shajapur Orange: नईदुनिया प्रतिनिधि, शाजापुर। गर्मी के शुरू होने में अभी समय शेष है, लेकिन फल मंडी में अभी से संतरा और अंगूर जैसे मौसमी फलों की बंपर आवक शुरू हो गई है। शहर के थोक फल मंडी के व्यवसायियों के अनुसार जिले में अभी दो से तीन टन तक संतरे की रोज खपत हो रही है। अभी मीडियम संतरा 15 से 20 रुपए प्रति किलो और अच्छी क्वालिटी का संतरा 30 से 40 रुपए प्रति किलो बिक रहा है।
वहीं, थोक मंडी में न्यूनतम एक हजार से अधिकतम चार हजार प्रति क्विंटल तक भाव चल रहे हैं। वहीं अंगूर की आवक भी बढ़ने लगी है। थोक में अंगूर 30 से 35 रुपए प्रति किलो तक बिक रहा है। फल व्यवसायियों के अनुसार आने वाले दिनों में शाजापुर के साथ-साथ अन्य जगहों से भी संतरे की आवक शुरू हो जाएगी, फिर भाव में कुछ कमी आ सकती है।
शाजापुर जिले के संतरे की देशभर में डिमांड रहती है। जिले के वातावरण में होने वाला संतरा देशभर में सबसे मीठे फल के रूप में पहचान बना चुका है। यहां के संतरे का छिलका ज्यादा मोटा होने के कारण कई दिनों तक स्टोर कर रखा जा सकता है। ऐसे में देशभर में यहां के संतरे की मांग रहती है। संतरा अभी थोक में थोड़ा महंगा बिक रहा है।
यह फसल फरवरी-मार्च तक पककर तैयार हो जाती है, लेकिन असामान्य वर्षा की चपेट में आने से फसल पर विपरीत असर पड़ता है। जानकारी के अनुसार शाजापुर व आगर जिले में लगभग 50 हजार हेक्टेयर में संतरा पैदा होता है।
यहां के संतरे ने अपने रंग व स्वाद के चलते अपनी अलग पहचान बनाई है। असामान्य वर्षा के चलते करीब डेढ़ माह की तान नहीं मिलने के कारण इस बार 80 फीसदी पौधों पर फूल नहीं आए और फल नहीं बन पाए। शाजापुर का संतरा देश की बड़ी मंडियों में हाथोंहाथ बिकता है।
संतरे को मई व जून के आधे माह तक यानी गर्मी तक आवश्यकता होती है। मंडी परिसर स्थित फल मंडी में गर्मी शुरू होने से पहले ही रसदार फलों की आवक शुरू हो गई है। महाराष्ट्र के संतरे की अभी मंडी में आवक आरंभ नहीं हो रही है। मौसम में अभी भी सुबह और रात के समय ठंड का माहौल बना हुआ है। हालांकि, जून महीने के बाद अधिकतम तापमान 30 डिग्री तक के ऊपर पहुंच जाता है।
अभी न्यूनतम तापमान 13 और 14 डिग्री के बीच चल रहा है। कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार वर्षा की असामान्यता से पौधों में कार्बन नाइट्रोजन अनुपात का रेशो गड़बड़ा जाता है, जबकि संतरे में आने वाले फूल ही फल में तब्दील होते हैं। जब असामान्य वर्षा से पौधों को पर्याप्त तान नहीं मिल पाई तो फूल बनने की प्रक्रिया प्रभावित होती है।
मई व जून माह के आधे माह तक कुल डेढ़ माह की तान यानी गर्मी की आवश्यकता होती है। इस दौरान वर्षा हो जाए तो तान डिस्टर्ब हो जाती है। पिछले दो से तीन साल से बादल छाने के साथ वर्षा होने से पैदावार पर असर देखने को मिला।
ऐसे में पौधों को पर्याप्त समय तक तान नहीं मिल पाई। इसके चलते पौधों में फूल नहीं आ पाए। जिले में व्यापारी संतरे का सौदा करने बगीचों में पहुंच जाते हैं और लगे हुए फलों का सौदा कर लेते हैं। इस बार फल दिखाई दे रहे हैं, किसानों को अच्छे दाम भी मिल रहे हैं।
यह फसल फरवरी-मार्च तक पककर तैयार हो जाती है, लेकिन असामान्य बारिश की चपेट में आने से फसल पर विपरीत असर पड़ता है। शाजापुर के संतरे की देश की बड़ी मंडियों में खूब डिमांड होती है, जिले का मौसम भी इस फसल के अनुकूल है। - जीआर अंबावतिया, कृषि वैज्ञानिक शाजापुर