नीरज शर्मा, नईदुनिया श्योपुर। मध्य प्रदेश में चीतों के रहवास कूनो नेशनल पार्क से राजस्थान के सवाई माधोपुर के बीच अघोषित चीता कॉरिडोर में निर्माणाधीन हाईवे को लेकर कूनो पार्क प्रबंधन व राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के बीच ठन गई है। दोनों विभागों के बीच वार्ता असफल होने के बाद हाईवे निर्माण कार्य को रोक दिया गया है। अब विवाद सुलझाने के लिए सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी और केंद्रीय वन मंत्री भूपेंद्र सिंह के बीच इस मसले पर वार्ता हो सकती है।
बता दें कि कूनो नेशनल पार्क के खुले जंगल में छोड़े गए चीते कई बार मप्र से राजस्थान के सवाई माधोपुर के जंगल तक चले गए, जिन्हें ट्रैंकुलाइज कर वापस लाया गया। इसके बाद से वन विभाग चीता कॉरिडोर की वकालत कर रहा है। हालांकि अभी कॉरिडोर घोषित नहीं है।
इसी क्षेत्र में श्योपुर में मुरैना से होते हुए राजस्थान के सवाई माधोपुर को जोड़ने के लिए गोरस-श्यामपुर नेशनल हाईवे(552) का निर्माण चल रहा है। करीब 209 करोड़ की लागत से बन रहे 63.400 किलोमीटर लंबे हाईवे के निर्माण पर कूनो नेशनल पार्क ने आपत्ति कर दी है।
पार्क प्रबंधन का कहना है कि हाईवे का 32 किलोमीटर क्षेत्र चीता कॉरिडोर है। श्योपुर के कूनो नेशनल पार्क और राजस्थान के कैलादेवी अभयारण्य के बीच का ये हिस्सा वाइल्डलाइफ कॉरिडोर के रूप में संरक्षित है, यही वजह है कि हाईवे निर्माण के लिए एनओसी की जरूरत है।
इसमें कूनो नेशनल पार्क एलिवेटेड रोड (लंबे पुल वाली सड़क) की मांग कर रहा है। ताकि चीतों या वन्यजीवों की आवाजाही पुल के नीचे से निर्वाध हो सके। जबकि एनएचएआई का कहना है कि यह हाईवे निर्माण की कार्ययोजना में नहीं है। एनएचएआई ने दलील दी है, कार्ययोजना के मुताबिक ढाई सौ मीटर की एलिवेटेड सड़क ही बना सकते हैं।
हाईवे बनाने से पहले कूनो प्रबंधन की अनुमति विधिवत ली गई थी। अनुमति में एलिवेटेड रोड जैसी शर्त नहीं है। हम कार्ययोजना के मुताबिक ही काम कर रहे हैं। इसे लेकर अथॉरिटी के दिल्ली मुख्यालय में बात रखी गई है। - विजय अवस्थी, उप अभियंता, एनएचएआई मप्र।
चीता कॉरिडोर में लंबे एलिवेटेड रोड की सशर्त अनुमति दी गई थी। नेशनल हाईवे शर्तों को नहीं मान रहा है। हमने उच्च स्तर पर बात रखी है। - उत्तम कुमार शर्मा, मुख्य वन संरक्षक, सिंह परियोजना, मप्र।