सुरेश वैष्णव- श्योपुर। देश के पर्यटन मानचित्र पर श्योपुर को पहचान दिलाने को कूनो नेशनल पार्क में वन्यजीवों का कुनबा लगातार बढ़ रहा है। नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से चीतों के आने के बाद कूनो नेशनल पार्क 80 से अधिक वन्य जीवों का घर बन गया है। कूनो नेशनल पार्क में भालू, चीतल, लकडबग्घा, हिरणों से लेकर कई वन्यजीव यहां हजारों की तादाद में हैं। वन्य जीवों के अलावा कूनों सेंक्चुरी में कई दुर्लभ प्रजाति के पक्षी व जलीय जीव भी हैं जो सैलानियों का मन मोह रहे हैं। आपको जानकार खुशी होगी कि, अनगिनत वन्य जीव कूनो नेशनल पार्क में पहले से मौजूद है, लेकिन जब पार्क में चीतों को बसाया गया है, तब से कूनों सेंक्चुरी तेंदुओं से लेकर कई वन्यजीवों का स्वर्ग बन चुकी है। यहां तेदुओं का कुनबा इतनी रफ्तार से बढ़ रहा है, जितना दुनिया में शायद की किसी सेंक्चुरी में हो। 19 साल में तेंदुओं की संख्या लगभग 90 हो गई है। तेंदुओं के अलावा कूनों सेंक्चुरी में चीतल और सांभर की संख्या अप्रत्याशित रूप से बढ़कर 30-30 हजार को पार कर गई है। वहीं चिंकारा, चौसिंघा, छोटे हिरण, ब्लैकबग, लकड़बग्घा, भालू, नीलगाय, सियार जैसे वन्यजीवों की संख्या भी हजारों में पहुंच गई है। पार्क का इतिहास: कूनो नेशनल पार्क का अपना एक समृद्ध इतिहास है। इस अभयारण्य के अंदर सदियों पुराने किलों के खंडहर मौजूद हैं। पालपुर किले के पांच सौ साल पुराने खंडहरों से कूनो नदी दिखाई देती है। चंद्रवंशी राजा बाल बहादुर सिंह ने वर्ष 1666 में यह गद्दी हासिल की थी। पार्क के अंदर दो अन्य किले हैं - आमेट किला और मैटोनी किला, जो अब पूरी तरह से झाड़ियों और जंगली पेड़ों से ढंक चुके हैं। कूनो कभी ग्वालियर के महाराजाओं का शिकारगाह हुआ करता था। जिले में बसे कूनो-पालपुर वन्यजीव अभयारण्य की स्थापना 1981 में हुई थी। 2018 में सरकार ने इसे इसे नेशनल पार्क का दर्जा दिया था। अपनी स्थापना के समय इस वन्यजीव अभ्यारण्य का क्षेत्रफल 344.68 वर्ग किलोमीटर था। बाद में इसमें और इलाके जोड़े गए। अब यह करीब 900 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। यहां कौन से जानवर पाए जाते हैं: इस अभ्यारण्य में चीता, चीतल, सांभर, नीलगाय, जंगली सुअर, चिंकारा, चौसिंघा, ब्लैक बक, ग्रे लंगूर, लाल मुंह वाले बंदर, शाही, भालू, सियार, लकड़बग्घे, ग्रे भेड़िये, गोल्डेन सियार, बिल्लियां, मंगूज समेत कई प्रजातियों के जानवर पाए जाते हैं। वन्य जीवों के पार्क पर एक नजर - 750 स्क्वायर किलोमीटर में फैला है यह पार्क - 130 किमी दूर स्थित है रणथंबोर नेशनल पार्क से - 500 साल पुराने पालपुर किलों के खंडहर हैं पार्क में मौजूद - 1981 में हुई थी कूनो-पालपुर वन्यजीव अभयारण्य की स्थापना - 2018 में सरकार ने इसे घोषित किया नेशनल पार्क - 123 प्रजातियों के पेड़ और 71 प्रजाती की झाड़ियों पाई जाती हैं यहां - 20 से अधिक प्रजातियों के जानवर पाए जाते हैं यहां - 180 किलो मीटर लंबी कूनो नदी बहती है। वर्जन- कूनो में पार्क में पहले से ही विभिन्न प्रजापतियों के वन्यजीव मौजूद हैं, लेकिन चीतों के आने से वन्यजीवों का कुनबा बढ़ गया है। कूनो नेशनल पार्क में वन्यजीवों की कुल आबादी में लगभग 50 फीसदी की आबादी तो चीतल और सांभर की है और इन दोनों ही वन्यजीवों की अप्रत्याशित वृद्धि हुई है। कूनो में पर्यटकों को इस बार अधिक वन्यजीवों की अठखेलियां दिखेंगी। पीके वर्मा डीएफओ, कूनो नेशनल पार्क श्योपुर फोटो नंबर- 13, 14, कैप्शन- कूनो नेशनल पार्क श्योपुर