नईदुनिया प्रतिनिधि, श्योपुर। चीता पुनर्स्थापना प्रोजेक्ट के तहत भारत में जन्मी मादा चीता मुखी 29 सितंबर (सोमवार) को ढाई वर्ष की होने के साथ ही वयस्क की श्रेणी में आ जाएगी। कूनो प्रबंधन के अनुसार यह उम्र चीता के वयस्क होने का मानक है। 29 मार्च, 2023 को ज्वाला चीता ने चार शावकों को जन्म दिया था।
भीषण गर्मी के कारण तीन शावकों ने कुछ दिनों में ही दम तोड़ दिया था। ऐसे में ज्वाला ने भी इकलौती बची मुखी को छोड़ दिया था। प्रबंधन ने मुखी को बचाए रखने के अथक प्रयास किए। इसी का परिणाम है कि भारत में जन्मे 16 चीताओं में से वह सबसे पहले विदेशी वयस्क चीतों के कुनबे में शामिल होने जा रही है।
प्रोजेक्ट की बड़ी सफलता के रूप में अब यह भारत में चीतों की संख्या बढ़ाने में योगदान दे सकती है। प्रबंधन इसे प्रोजेक्ट की पोस्टर चीता भी मानता है। प्रोजेक्ट चीता के निदेशक उत्तम कुमार शर्मा ने बताया कि 23 मई, 2023 को प्रबंधन ने मुखी को अलग-थलग, कमजोर और थका हुआ पाया, तब उसे अलग से मेडिकल निगरानी में रखा गया।
कड़ी सावधानियों के साथ देखभाल की गई। धीरे-धीरे उसने शक्ति पाई और जीवन की राह पर आगे बढ़ी। कई बार उसे मां ज्वाला से मिलाने की कोशिश भी की गई, लेकिन ज्वाला ने उसे पास नहीं रखा। इलाज और देखभाल के बाद जब मुखी ने खुद शिकार करना सीखा, तो यह टीम के लिए बड़ी उपलब्धि रही।
विदेश से लाए गए थे 20 चीते, अब संख्या हो गई 27 कूनो नेशनल पार्क में नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से कुल 20 चीते लाए गए थे। अब तक नौ चीतों के अलावा भारत में जन्मे 26 शावकों में से 10 की मौत हो गई है। वर्तमान में 11 चीते और 16 शावक हैं। इनमें से तीन चीते गांधीसागर अभयारण्य में हैं।