श्योपुर। नईदुनिया प्रतिनिधि
नशे को कई गुना बढ़ाने के लिए नशेड़ी एविल इंजेक्शन में स्मैक मिलाकर लगा रहे हैं। एविल इंजेक्शन नशेड़ियों की पहली पंसद बनने से मरीजों को यह इंजेक्शन मेडिकलों से उपलब्ध होना बंद हो गए हैं। आश्चर्य की बात यह है कि, मरीजों को तो डॉक्टर के लिखने के बाद भी यह इंजेक्शन मेडिकल पर उपलब्ध नहीं है, लेकिन, नशेड़ियों को आसानी से उपलब्ध हो रहे हैं।
शहर के हर गली-मोहल्ले में एविल इंजेक्शन के माध्यम से स्मैक का नशा धड़ल्ले से हो रहा है और पुलिस को कानों कान खबर नहीं है। इसे पुलिस की लापरवाही माने या अनभिज्ञता की नशेड़ियों के कब्जे में आने से ऐबिल इंजेक्शन बाजार से गायब हो गए है। किसी दवा का दुष्प्रभाव काटने के लिए डॉक्टर एविल इंजेक्शन लगाता है। यह इंजेक्शन बाजार से मरीजों के लिए पूरी तरह गायब हो चुका है। नईदुनिया ने इसकी पड़ताल करने के लिए शनिवार को शहर की लगभग सभी दुकानों पर पहुंचकर केमिस्ट से एविल इंजेक्शन मांगा, सभी का जवाब नहीं में था। शहर में प्राइवेट दुकान संचालित करने वाले एक डॉक्टर ने बताया कि, एविल इंजेक्शन थोक दुकानों से चार गुना दर पर बेचा जा रहा है। नशेड़ी इंजेक्शन के मुंह मांगे दाम देने को तैयार रहते है इसलिए खेरीज मेडिकल दुकानों तक इंजेक्शन आ ही नहीं रहे हैं।
कैसे करते है ऐबिल का नशा
इंजेक्शन को आग में गर्म किया जाता है गर्म होने के बाद उसमे स्मैक पाउडर मिलाकर सिरींज में भरकर नश में लगाया जाता है। गुनगुना इंजेक्शन नशों में पहुंचते ही नशेड़ी बेसुध हो जाता है। अमूमन स्मैक का नशा 6 घंटे रहता है लेकिन, एविल इंजेक्शन के साथ लगाने पर नशेड़ी को 12 घंटे तक नशे का आभास होता रहता है।
वर्जन
-बाजार में ऐविल इंजेक्शन नहीं मिलने पर उसके बदले डेक्सोना इंजेक्शन लगाया जा रहा है। एविल का लगातार उपयोग हार्ड की गतिविधियां शिथिल कर देता है। युवाओं को इस नशे से बचना चाहिए।
डॉ. केएल पचौरिया
प्रभारी, सिटी हॉस्पिटल
-एविल इंजेक्शन का उपयोग नशेड़ियों द्वारा किया जा रहा है। दुकानदार को जो दवा बेची गई है उसका रिकॉर्ड रखना पड़ता है। इसलिए इस इंजेक्शन को दुकानदार मंगाने व बेचने से बच रहे हैं।
गोपाल गुप्ता
संचालक, परख मेडिकल