नईदुनिया प्रतिनिधि, शिवपुरी। आज बेटियां जमीन से लेकर आसमान तक बुलंदी के झंडे गाढ़ रही हैं, लेकिन समाज में एक वर्ग ऐसा भी है, जो बेटी को अभिशाप मानता है। ऐसा ही एक उदाहरण शिवपुरी जिले के ग्राम खांदी में सामने आया है। यहां दिव्यांशी पुत्री लाखन धाकड़ उम्र एक साल तीन माह का उसके स्वजनों ने महज इसलिए इलाज नहीं कराया, क्योंकि वह लड़की थी। परिणाम स्वरूप वह बीमार होकर कुपोषण का शिकार हो गई। दिव्यांशी ने शनिवार दोपहर जिला अस्पताल में दम तोड़ दिया।
सीएमएचओ डॉ. संजय ऋषिश्वर ने बताया कि बच्ची को 1 अगस्त को दस्तक अभियान के तहत चिह्नित किया गया था। स्वजन को इस बात के लिए समझाया गया था कि वह बच्ची को अस्पताल में भर्ती करवा दें, लेकिन वे तैयार नहीं हुए।
इसके बाद सरपंच से संपर्क कर मोहल्ले, पड़ोस के लोगों की पंचायत बुलवा कर समझाइश दी गई। इस तरह बच्ची को अस्पताल में भर्ती करवाया गया, लेकिन परिवार वाले लेकर घर भाग गए। हालत बिगड़ने पर शनिवार को बच्ची को जिला अस्पताल लेकर आए, लेकिन तब तक उसकी मौत हो चुकी थी।
इस बीच, बच्ची की मां खुशबू धाकड़ ने अपनी सास पर गंभीर आरोप लगाया। उसका कहना है कि सास को बेटी पसंद नहीं थी। जब मैंने बेटी को जन्म दिया तो उन्होंने मुझे और अधिक प्रताड़ित करना शुरू कर दिया। बेटी बीमार होती, तो उपचार करवाने से यह कहकर इनकार कर देती कि लड़की है, इसे मर जाने दे। पति और देवर से इलाज के लिए कहती तो वे मुझे मारते थे।
सीएमएचओ के अनुसार, बच्ची की मां खुशबू उसे लेकर पांच माह पहले अपने मायके बिहार चली गई थी। वहां से लौटकर आई तो 1 अगस्त को बच्ची को कुपोषित चिह्नित किया गया। 4 अगस्त को उसे सतनवाड़ा स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया। 5 अगस्त को स्वास्थ्य केंद्र से जिला अस्पताल रेफर किया गया।
यहां पीआईसीयू वार्ड में उसका उपचार चला। 5 अगस्त को ही बच्ची को मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया। वहां 7 अगस्त तक उपचार चला और हालत स्थिर हो गई। मेडिकल कालेज से बच्ची को एनआरसी ले जाने की सलाह देकर डिस्चार्ज किया गया, लेकिन स्वजन उसे वापस गांव ले गए। वहां बच्ची की तबीयत फिर से खराब हो गई।