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बैठक में यूनेस्को के पदाधिकारी सहित अन्य प्रशासनिक अधिकारी
ओरछा(नईदुनिया न्यूज)।
धार्मिक एवं पर्यटन नगरी के विकास की नई इबारत लिखने के उद्देश्य से शनिवार को ओरछा के एक होटल में यूनेस्कों के पदाधिकारियों की बैठक आयोजित की गई। बैठक में ओरछा के प्रशासनिक अधिकारी समेत विकास से जुड़े अन्य विभागों के अधिकारी शामिल रहे। इस दौरान पर्यटन नगरी ओरछा के विकास को लेकर रूपरेखा तैयार की गई। रामराजा सरकार की नगरी ओरछा बुंदेला राजवंश के अदभुत वास्तुशिल्प को प्रदर्शित करने वाली ऐतिहासिक धरोहर है। ओरछा को संयुक्त राष्ट्र शैक्षणिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन यूनेस्को की धरोहरों की सूची में शामिल है। ओरछा के विकास की रूपरेखा तैयार करने के उद्देश्य से शनिवार को ओरछा में यूनेस्को के पदाधिकारियों के साथ बैठक आयोजित की गई। पत्रकारों से चर्चा में यूनेस्को के कल्चर सेक्टर की प्रमुख जूनी हान ने बताया कि ओरछा का समग्र विकास ओरछा के इतिहास और सौंदर्य को देखकर किया जाएगा। यहां के इतिहास का प्रमुख आकर्षण यहां होने वाली गतिविधियां और उसके सांस्कृतिक कार्यक्रम है। उन्होंने कहा कि यहां के स्मारक अच्छे है और ओरछा जैसे इतिहास संस्कृति और सौंदर्य का समागम कम स्थानों पर ही देखने को मिलता है। उनका कहना है कि इन सभी को दृष्टिगत रखते हुए ओरछा का विकास किया जाएगा। उन्होंने कहा कि ओरछा के विकास का एक मास्टर प्लान तैयार करके ही यहां पर यूनेस्को अपनी गतिविधियां शुरू करेगा। वहीं कलेक्टर नरेंद्र सूर्यवंशी ने बताया कि यूनेस्को पदाधिकारियों के साथ हुई बैठक में यहां के सांस्कृति और भौगोलिक स्थिति से उन्हें रूबरू करवाया। यूनेस्कों के साथ बैठक कर यह तय किया कि कैसे ओरछा को और बेहतर पर्यटन स्थल बनाया जा सकता है। बैठक में डिप्टी कलेक्टर मेघा तिवारी, तहसीलदार संदीप शर्मा, पुरातत्व अधिकारी घनश्याम बाथम और एमपी टूरिज्म के स्थानीय इकाई के प्रबंधक एच एस दंडोतिया मौजूद रहे। ओरछा में बैठक से पहले गुरुवार को एक मीटिंग ग्वालियर में भी रखी गई थी। गौरतलब है कि ग्वालियर और ओरछा का चयन यूनेस्को के हिस्टोरिकल एवं अर्बन डेवलपमेंट प्रोग्राम के अंतर्गत किया गया है जिसकी जिम्मेदारी यूनेस्को के अधिकारियों को दी है और अब यूनेस्को के अधिकारियों ने इन दोनों शहरों में अपनी मीटिंग की और यहां के विकास की हलचलें शुरू कर दी।