उज्जैन (नईदुनिया प्रतिनिधि)। शहर से 10 किलोमीटर दूर स्थित कालियादेह महल (केडी पैलेस) का इतिहास किसी रहस्य से कम नहीं है। बीते एक हजार साल में अनेक राजा महाराजा की पर्यटन स्थली रहे इस महल की जल संरचना शोध का विषय है। पुरातत्व के जानकार बताते हैं राजा भोज के काल में जल छनक यंत्र का निर्माण किया गया था। इसके अवशेष आज भी हमें दिखाई देते हैं। महल में पुराण प्रसिद्ध सूर्य मंदिर भी है, जो भोजकाल में बनवाया गया था। कालांतर में सिंधिया राजवंश से इसका जीर्णोद्धार कराया था।
पुराविद् डा.रमण सोलंकी के अनुसार उज्जैन प्राचीन अवंतिका महाजनपद की राजधानी रही है। वैभवशाली नगरी ने हर दौर में राजा महाराजाओं को अपनी ओर आकर्षित किया है। भैरवगढ़ के समीप कैडी पैलेस एक हजार से अधिक पुरानी विरासत को अपने आम में समेटे हुए है। आज भी यहां भव्य महल, राजप्रसाद, सूर्य मंदिर तथा बावन कुंड व जल छनक यंत्र के रूप में अद्भुत जल संरचना पर्यटकों व शोधकर्ताओं को अपनी ओर आकर्षित करती है। विक्रम विश्व विद्यालय के विज्ञानी डा.निहालसिंह ने जल छनक यंत्र पर विस्तृत कार्य किया है।
राजा भोज ने कराया था जल संरचना का निर्माण
केडी पैलेस शिप्रा नदी के तट पर स्थित है। शिप्रा के बहाव क्षेत्र पर 52 कुंड व जल छनक जैसी जल संरचना का निर्माण राजा भोज ने कराया था। आज भी छनक यंत्र के कुछ अवशेष मौजूद हैं। नदी जल को स्वच्छ कर इसे सीधे पेयजल आदि उपयोग में लेने के लिए इस जल संरचना का निर्माण कराया गया था। इस यंत्र से जल को शुद्ध कर शहर में तांबे की पाइप लाइन से लोगों के उपयोग हेतु नगर में पहुंचाया जाता था। इसके प्रमाण डा.श्रीधर वाकणकर को भी प्राप्त हुए थे।
स्कंदपुराण में मिलता है सूर्य मंदिर का उल्लेख
केडी पैलेस में अतिप्राचीन सूर्य मंदिर है। इसका उल्लेख स्कंदपुराण के अवंतिखंड में मिलता है। पुराण प्रसिद्ध इस मंदिर का निर्माण राजा भोज ने कराया था। बीच के काल में आक्रांताओं ने सूर्य मंदिर को तोड़ दिया था। बाद में सिंधिया राजवंश ने इसका जीर्णोद्धार कराया।