
नईदुनिया प्रतिनिधि, उज्जैन। कालिदास संस्कृत अकादमी में हुए दो दिवसीय अखिल भारतीय ज्योतिष महाधिवेशन का समापन सोमवार को सामाजिक सरोकारों पर केंद्रित विमर्श और प्रस्तावों के साथ हुआ। देशभर से आए 500 से अधिक विद्वानों और ज्योतिषाचार्यों ने सम्मेलन में भाग लिया। महाधिवेशन में वक्ताओं ने वर्तमान समय में सामने आ रहे सामाजिक मामलों, विशेषकर युवाओं से जुड़े संबंधों और विवाह पूर्व सतर्कता जैसे मुद्दों पर चर्चा की।
महाधिवेशन के दूसरे दिन आयोजित सत्रों में वक्ताओं ने कहा कि बदलते सामाजिक परिदृश्य में केवल कानूनी उपाय पर्याप्त नहीं हैं, बल्कि परिवार और समाज की जागरूकता भी उतनी ही आवश्यक है। ज्योतिषाचार्यों ने विवाह पूर्व कुंडली मिलान को केवल गुण-दोष तक सीमित न रखते हुए, पारिवारिक पृष्ठभूमि, संस्कार और जीवन मूल्यों को समझने का माध्यम बताया।
वक्ताओं का कहना था कि सनातन परंपरा में कुंडली मिलान का उद्देश्य केवल भविष्यवाणी नहीं, बल्कि दो परिवारों के बीच सामंजस्य और विश्वास की स्थापना रहा है। कुछ वक्ताओं ने यह दावा भी किया कि पहचान छुपाकर संबंध बनाने जैसे मामलों में अभिभावकों की भूमिका अहम हो जाती है।
उनके अनुसार, यदि विवाह या संबंध से पहले योग्य सलाह ली जाए तो कई प्रकार की सामाजिक और पारिवारिक जटिलताओं से बचा जा सकता है। इसी क्रम में कुछ वक्ताओं ने ज्योतिष शास्त्र को सामाजिक सुरक्षा के एक माध्यम के रूप में प्रस्तुत किया।
महाकाल की नगरी में आयोजित इस महाधिवेशन का निष्कर्ष यह रहा कि आधुनिक जीवनशैली के साथ-साथ सामाजिक जिम्मेदारी और पारिवारिक संवाद को मजबूत करना आवश्यक है। ज्योतिषाचार्यों ने कहा कि ज्योतिष को केवल धार्मिक कर्मकांड तक सीमित न रखकर, सामाजिक चेतना और मार्गदर्शन के रूप में भी देखा जाना चाहिए।
- धर्म रक्षण और जागरूकता: युवाओं को सांस्कृतिक मूल्यों से जोड़ने के लिए स्थानीय स्तर पर संवाद।
- निशुल्क परामर्श: पारिवारिक भ्रम या धोखे की आशंका वाले मामलों में मार्गदर्शन।
- जागरूकता अभियान: शैक्षणिक संस्थानों के आसपास सामाजिक-संस्कार आधारित कार्यशालाएं आयोजित करने का प्रस्ताव।