उज्जैन-बड़नगर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। बड़नगर तहसील के ग्राम भीड़ावद में दीपावली के अगले दिन रविवार को अनूठी परंपरा निभाई गई। ग्रामीण इसे गाय गोहरी कहते हैं। परंपरा के तहत मन्नात पूरी होने पर आस्थावान भूमि पर लेटते हैं और उनके ऊपर से दर्जनों गायें गुजरती हैं। इस दौरान ग्रामीण ने गौ माता के जयकारे लगाए।
कोरोना संक्रमण के कारण इस बार इस परंपरा को लेकर संशय की स्थिति थी, मगर ग्रामीणों ने कोविड-19 के नियमों का पालन करते हुुए रस्म निभाई। रविवार सुबह से ही भीड़ावद में मन्नातधारी आ चुके थे। कोरोना के कारण इस बार इनकी संख्या कम थी। गांव के मंदिर में पूजन के बाद गायों का ाृंगार किया गया। फिर उन्हें मंदिर ले जाया गया। यहां पूजा-अर्चना हुई। फिर ग्रामीणों ने गोवर्धन और गोमाता के जयकारे लगाए। इसके बाद रस्म की शुरुआत हुई। बड़ी संख्या में मौजूद ग्रामीणों के बीच मन्नातधारी जमीन पर लेटे और देखते ही देखते उनके शरीर के ऊपर से कई गायें और गोवंश दौड़ते हुुए निकल गए।
वर्षों से चली आ रही परंपरा
गाय गोहरी पर्व मूलतः आदिवासी परंपरा है, मगर मालवांचल के कुछ गांवों में भी इसे मनाया जाता है। ग्राम भीड़ावद के रहवासी बताते हैं कि यह परंपरा वर्षों पुरानी है। कभी कोई दुर्घटना अथवा कोई घायल नहीं हुआ। ग्रामीण मानते हैं कि गोवर्धन और गोवंश से मांगी गई हर मुराद पूरी होती है। मन्नात पूरी होने के बाद इस आस्थावान इस रस्म में शामिल होते हैं।
गोवंश व गोवर्धन की पूजा
उज्जैन। महाकाल मंदिर की चिंतामन स्थित गोशाला में कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा पर गोवंश व गोवर्धन की पूजा की गई। इस अवसर पर मंदिर के अधिकारी व महिला, पुरुष कर्मचारी मौजूद थे। सामाजिक संस्थाओं द्वारा गोवंश के लिए पशु आहार तथा शृंगार सामग्री अर्पित की गई थी।
सहायक प्रशासनिक अधिकारी आरके तिवारी ने बताया तीन दिवसीय दीपोत्सव के आखिरी दिन चिंतामन स्थित गोशाला में गोवंश तथ गोवर्धन की पूजा की गई। सामाजिक कार्यकर्ता योगेश गोयल ने गायों के लिए पशु आहर भेंट किया। गोशाला प्रभारी आरपी गेहलोत ने श्रद्घालुओं से अपील की है कि वे अपने जन्मदिन, शादी की सालगिरह आदि मौके पर गोशाला में पशु आहार भेंट कर पुण्य अर्जित कर सकते हैं। कार्यक्रम में सहायक प्रशासक मूलचंद जूनवाल, गोशाला प्रभारी गोपाल कुशवाह, यशोदा शर्मा, कामिनी चतुर्वेदी, खूबकला तिवारी, ज्योति चौहान आदि मौजूद थे।