Dev Prabodhini Ekadashi 2021: उज्जैन (नईदुनिया प्रतिनिधि)। कार्तिक मास की देवप्रबोधिनी एकादशी पर सर्वार्थसिद्धि योग में देव जागेंगे। पंचांगीय गणना में मतांतर होने से इस बार दो दिन एकादशी रहेगी। ज्योतिषियों के अनुसार 14 नवंबर को शैव तथा 15 नवंबर को वैष्णव मत के अनुसार एकादशी मनाई जाएगी। 14 नवंबर को शाम 4 बजकर 32 मिनट से सर्वार्थसिद्धि योग की शुरुआत होगी, यह योग 15 नवंबर को भी दिनभर रहेगा। देवउठनी एकादशी से चातुर्मास का समापन होगा तथा विवाह आदि मांगलिक कार्यों की शुरुआत होगी।
ज्योतिषाचार्य पं.अमर डब्बावाला के अनुसार सर्वार्थसिद्धि योग सभी योगों में विशेष महत्व रखता है। इस योग में किए गए कार्य सिद्ध होते हैं। इस बार शैव व वैष्णव मत के अनुसार दो दिन देवप्रोबोधिनी एकादशी है और दोनों ही दिन सर्वार्थसिद्धि योग की साक्षी रहेगी। ऐसे शुभ संयोग में चातुर्मास का समापन व मांगलिक कार्यों का शुभारंभ आमजन के लिए मनोवांछित सफलता प्रदान करने वाला रहेगा। नए साल में विवाह के करीब 44 श्रेष्ठ मुहूर्त हैं।
तुलसी शालिग्राम का विवाह होगा
देव प्रबोधिनी एकादशी पर तुलसी शालिग्राम के विवाह की मान्यता है। इस दिन मंदिर तथा घरों में देव विवाह के आयोजन किए जाते हैं। इस दिन को अबूझ मुहूर्त कहा जाता है। इस दृष्टि से कई लोग इसी दिन विवाह करते हैं। इस बार भी अबूझ मुहूर्त में शहनाई की गूंज सुनाई देगी।
विवाह के शुभ मुहूर्त
- नवंबर माह : 15, 21, 28, 29, 30
- दिसंबर माह : 1, 6, 7, 11, 13
(14 नवंबर से सूर्य की धनु संक्रांति रहेगी इसके चलते एक माह मांगलिक कार्य नहीं होंगे)
-जनवरी 2022 : 22,23,25
-फरवरी : 5,6,9,10,18,19
(सूर्य की मीन संक्रांति के कारण विवाह एक माह से अधिक समय मांगलिक कार्य नहीं होंगे)
-अप्रैल : 14, 15, 19, 20, 21, 22 ,23
-मई : 2, 3, 9, 10, 12, 18, 20, 26, 31
-जून : 1, 6, 8, 11, 14, 21
-जुलाई : 3, 8, 9