Guru Purnima 2023 Date: उज्जैन (नईदुनिया प्रतिनिधि)। पंचांग की गणना के अनुसार आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि पर व्यास पूजन की परंपरा है। अर्थात इस दिन गुरु की पूजा की जाती है। इस दृष्टि से इसे गुरु पूर्णिमा भी कहा जाता है। संयोग यह है कि 3 जुलाई को आने वाली गुरु पूर्णिमा सोमवार के दिन होने से यह सोमवती गुरु पूर्णिमा भी कह लाएगी। ब्रह्म योग में आने वाली यह पूर्णिमा विशेष रहेगी।
ज्योतिषाचार्य पं.अमर डब्बावाला के अनुसार भारतीय ज्योतिष शास्त्र में योग का बड़ा महत्व है। क्योंकि कई योग संयोग वर्षों के बाद बनते हैं। इस दृष्टि से ब्रह्म योग में सोमवार के दिन आने वाली आषाढ़ की पूर्णिमा विशेष है। ब्रह्म योग में गुरु की उपासना विशेष मानी जाती है ऐसा कहा जा सकता है कि गुरु ब्रह्मा के रूप में विष्णु के रूप में रुद्र के रूप में या शिव के रूप में होने से उनकी पूजन जीवन के चारों पुरुषार्थ को सिद्ध करती है।
ऐसे गुरु को प्रणाम करते हुए यह दिन विशेष संकल्प की पूर्ती कराने वाला रहेगा। अर्थात इस दिन धर्म, अध्यात्म, संस्कृति को आगे बढ़ाने का संकल्प लेकर के गुरुओं को नमन करते हुए उनका पूजन कर आशीर्वाद लेना चाहिए।
3 जुलाई को दिन भर गुरु पूर्णिमा का श्रेष्ठ मुहूर्त रहेगा। इस दिन अपने दीक्षित अनुक्रम में अर्थात जिनसे दीक्षा ले रखी हैं उन गुरु की पूजा तथा जिन से शिक्षा ले रखी हैं उन गुरुजनों की पूजा करनी चाहिए। जिनसे जीवन पर्यंत शुभ और सही सद मार्ग पर चलने की प्रेरणा मिले एवं जीवन तथा पुरुषार्थ को साधने का उत्तम आयाम स्थापित हो सके।
आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन कुल परंपरा अनुसार कुल भैरव की पूजन का विशेष महत्व है। साथ ही भैरव मंदिरों में दर्शन कर यथा योग्य सामग्री अर्पित करें, यह करने से संतान के कष्टों का निवारण होता है। उज्जैन में अष्ट महाभैरव विशेष माने गए हैं।
चूंकि देव शयनी एकादशी से चातुर्मास की शुरुआत मानी जाती है। वहीं कुछ स्थानों पर पूर्णिमा से चातुर्मास की शुरुआत मानी जाती है। इस दृष्टि से पूर्णिमा पर कल्पवास के निमित्त संकल्प लेकर के तीर्थ स्नान की परंपरा भी शास्त्र उल्लेखित है। इस दिन से कल्पवास या तीर्थाटन के लिए चातुर्मास का पालन तथा विशिष्ट मंत्र की सिद्धि के लिए 4 महीनों का व्रत, जप, संकल्प का नियम स्नान दान की परंपरा प्रारंभ हो जाती है। इसलिए आषाढ़ी पूर्णिमा पर स्नान का महत्व है। इस दिन चंद्रमा, भगवान विष्णु की विशेष पूजा की जानी चाहिए।