नईदुनिया प्रतिनिधि, उज्जैन। महाकाल मंदिर के ठीक सामने गेट नंबर चार के पास, बिना अनुमति बन रहे एक बहुमंजिला होटल को नगर निगम ने मंगलवार को ध्वस्त कर दिया। करीब दो घंटे तक चली कार्रवाई में जेसीबी मशीन से पूरा निर्माण ढहा दिया गया। यह होटल अशोक जोशी द्वारा बनवाया जा रहा था, जिन्हें पहले ही दो बार नोटिस जारी किया गया था।
नगर निगम भवन अधिकारी दीपक शर्मा के अनुसार, उक्त निर्माण बिना स्वीकृत नक्शे और वैध अनुज्ञा के शुरू किया गया था। निगम ने तीन दिन पहले नोटिस जारी कर निर्माण रोकने के निर्देश दिए थे। परंतु आदेश की अवहेलना करते हुए निर्माण कार्य जारी रखा गया, जिस पर मप्र नगर पालिका अधिनियम की धारा 187(8) के तहत कार्रवाई की गई। अधिकारी ने स्पष्ट किया कि महाकाल मंदिर क्षेत्र को धार्मिक और संरक्षित परिक्षेत्र माना जाता है, जहां किसी भी तरह का अनधिकृत निर्माण पूरी तरह प्रतिबंधित है। नगर निगम द्वारा यहां जीरो टॉलरेंस नीति अपनाई गई है। दूसरी ओर, निर्माणकर्ता अशोक जोशी के पुत्र तुषार जोशी ने नगर निगम की कार्रवाई पर आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि यह 150 वर्ष पुराना मकान था, जो जीर्ण-शीर्ण अवस्था में था। ‘हमें थाने से भी कई बार मकान सुधारने की सूचना मिली थी। हम केवल दो कमरे, एक किचन और एक दुकान का निर्माण कर रहे थे। निगम ने तीन दिन का समय दिया था, परंतु दो दिन में ही कार्रवाई कर दी। जोशी परिवार अब इस कार्रवाई के विरुद्ध हाईकोर्ट जाने की तैयारी कर रहा है।
शहर में और भी कई अवैध निर्माण है, जिन पर नगर निगम को नजर डालना जरूरी है। कुछ तो ऐसे हैं जिनका अवैध निर्माण दो बार बुल्डोजर चलाकर ढहाया मगर फिर वह पुराने हिसाब में और जगह घेरकर खड़ा हो गया। लक्ष्मीनगर में खड़ा एक काॅम्प्लेक्स भी उदाहरण है। बता दें कि भवन निर्माण के लिए नगर निगम से पूर्व अनुज्ञा अनिवार्य है। बिना स्वीकृत नक्शे या अनुमति के किया गया कोई भी निर्माण अवैध माना जाता है। ऐसे मामले में अवैध निर्माण हटाने और कुछ हिस्सा अवैध है तो उसका समझौता शुल्क जमा कराकर अवैध को वैध कराने का प्राविधान भी है। विदित रहे कि प्रशासन बार-बार चेतावनी देता है कि अनुमति के बिना कोई भी निर्माण ध्वस्त किया जाएगा, चाहे वह प्रारंभिक स्तर पर हो या पूर्णरूपेण।
उज्जैन में दर्जनों अवैध निर्माण वर्षों से खड़े हैं, लेकिन प्रशासनिक कार्रवाई अमूमन तभी होती है जब किसी शिकायतकर्ता द्वारा सीएम हेल्पलाइन या जनसुनवाई में मामला दर्ज कराया जाए। विदित रहे कि महाकाल मंदिर से 500 मीटर दायरे में भवन निर्माण पर लगी रोक अभी कुछ सप्ताह पहले ही हटी है। पांच वर्ष पहले एक आदेश की नासमझी के कारण रोक लगा दी थी जो लंबी प्रक्रिया के बाद हटाई जा सकी।