International Museum Day 2023: राजेश वर्मा, उज्जैन (नईदुनिया प्रतिनिधि)। महाकाल मंदिर (Mahakal Temple) के समीप स्थित त्रिवेणी संग्रहालय (Triveni Museum) देश दुनिया से आने वाले श्रद्धालुओं को शैव, वैष्णव व शाक्त परंपरा के दर्शन करा रहा है। सिंहस्थ 2016 में संचालनालय पुरातत्व अभिलेखागार एवं संग्रहालय द्वारा इसकी स्थापना की गई थी। त्रिवेणी संग्रहालय में अनेक महत्वपूर्ण मूर्तियां, प्रचीन सिक्के व चित्र हैं। शैव परिवार की समस्त प्रतिमाएं शिव, चामुंडा, कार्तिकेय, गणेश, गौरी, विष्णु के अनेक अवतार की प्रतिमा, सप्त मात्रिकायें प्रदर्शित हैं।
उज्जैन में प्रदर्शित शिव नटराज (Shiv Natraj) की प्रतिमाएं 1987 में सोवियत रूस में आयोजित भारत महोत्सव में तथा महिषासुर मर्दिनी की प्रतिमाएं 2013 में बेल्जियम के ब्रुसेल्स मे प्रदर्शित हो चुकी हैं। संग्रहालय में प्रथम शताब्दी ई. पूर्व से परमार काल 12 शताब्दी ई. तक की महत्वपूर्ण प्रतिमाएं हैं, जिसमें सरस्वती, नंदी, ब्रह्माणी, प्रमुख हैं।
शोध अधिकारी व पुराविद डा.ध्रुवेंद्र जोधा ने बाताया साहित्य के साथ-साथ उज्जैनिय का पुरातात्विक महत्व भी अधिक है। यह वह स्थान है जहां सम्राट विक्रमादित्य अपने नौ रत्नों धन्वंतरी, क्षणपक, अमरसिंह, शंकु, बेतालभट्ट, घटकर्पर, कालिदास, वराहमिहिर, और वरूची के साथ शाासन करते थे। उज्जैन उत्खनन से प्राप्त उज्जैयिनी चिन्ह युक्त हाथी दांत की सील पर ब्राह्मी लेख गौथजस तिसकस मिलता है जो कि 200 ई.पू. की है। एक अन्य हाथी दांत सील पर नगबुधीस प्रबजितस व असादेवस ब्राह्मी लिपि लेख प्राप्त है। प्राचीन मुद्राओं पर शिव सवितस व उज्जैनिय चिन्ह प्राप्त होते हैं जो 200 ई.पू. के है उज्जैन के लिखे मुद्रा पर उज्जैनिय शब्द पर ब्राहमी लेख भी प्राप्त है।
उज्जयिनी के गढ़कालिका क्षेत्र एवं क्षिप्रा नदी के किनारे अनेक प्राचीन मुद्राएं प्राप्त हुई हैं, जिसमें आहत ताम्र एवं रजत मुद्रा, महाकाल प्रकार की मुद्रा, उज्जयिनी चिन्ह अंकित मुद्राएं, कुर्म मुद्राएं, स्वास्तिक मुद्राएं, सातवाहन मुद्राएं, क्षत्रप मुद्राएं, गुप्त शासकों की मुद्राएं व अन्य शासकों की मुद्राएं प्राप्त हैं। वाक्यपति द्वितीय का उज्जैनिय की भट्टारिका भट्टेश्वरी दान पत्र भोज की नागझिरी ताम्रपट्टिका, चालुक्य नरेश सिद्धराज जयसिंह के उज्जैनिय अभिलेख (1138 विक्रम संवत) में यशोवर्मन की पराजय का उल्लेख है।
खोज में प्राप्त भगवान गणेश की अद्भुत मूर्ति।यह समय भारतीय धर्म, कला व संस्कृति के उत्कर्ष का है। मध्य प्रदेश पुरातत्व विभाग भोपाल द्वारा पुरात्तवीय सर्वेक्षण कर उज्जयिनी से पुरा सामग्री को एकत्र करने का काम डा.ध्रुवेंद्रसिंह जोधा को सौंपा गया है, इनमें प्रतिमाएं की खोज प्रमुख है। डा.जोधा ने अनेक दुर्लभ प्रतिमाओं की खोज की है। इसमें विष्णु, गणेश व शिव परिवार की प्रतिमाएं प्रमुख है। सर्वेक्षण में प्राप्त प्रतिमा तथा पुराअशेषों को संग्रहालय में प्रदर्शित किया जाएगा।
त्रिवेणी संग्रहालय में आज प्रवेश निशुल्कविश्व संग्रहालय दिवस के अवसर पर गुरुवार को त्रिवेणी संग्रहालय में लोगों को निशुल्क प्रवेश दिया जाएगा। संग्रहालय के आदित्य चौरसिया ने बताया सुबह 8 बजे से रात 10 बजे तक स्थानीय तथा देश विदेश से आने वाले लोग संग्रहालय में निशुल्क भ्रमण कर सकेंगे। आम दिनों में संग्रहालय देखने के लिए प्रति व्यक्ति 20 रुपये शुल्क चुकाना होता है।