Jaya Ekadashi 2022 उज्जैन (नईदुनिया प्रतिनिधि)। माघ मास के शुक्ल पक्ष की जया एकादशी 12 फरवरी को रहेगी। वर्षभर की 24 एकादशी में जया एकादशी का विशेष महत्व है। इस दिन सर्वत्र विजय की कामना से व्रत रखकर भगवान विष्णु व श्रीकृष्ण के पूजन का विधान है। भगवान श्रीकृष्ण ने महाभारत युद्ध में विजयश्री की प्राप्ति के लिए युधिष्ठिर को जया एकादशी व्रत करने का विधान बताया था। भगवान द्वारा बताए गए विधान के अनुसार युधिष्ठिर ने व्रत किया और युद्ध में विजय प्राप्त की।
पं. मनीष त्रिवेदी ने बताया माघ मास की जया एकादशी शनिवार के दिन आद्रा नक्षत्र, विषकुंभ योग, विशिष्ट करण तथा मिथुन राशि के चंद्रमा की साक्षी में आ रही है। जया एकादशी का संबंध पुराणों में अलग-अलग कथाओं से जुड़ा है। इसका मूल भाव यह है कि जीवन में किसी भी क्षेत्र में विजयश्री की प्राप्ति के लिए जया एकादशी का व्रत करना चाहिए।
इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होने के उपरांत भगवान श्रीकृष्ण का विधि पूर्वक पूजन करना चाहिए। वैदिक ब्राह्मण को दक्षिणा तथा गायों को हरा चारा खिलाना चाहिए। भिक्षुकों को भोजन कराने से भी शुभफल की प्राप्ति होती है। एकादशी पर शास्त्रों में अन्न् के सेवन को निषेध बताया गया है। व्रती को केवल फलाहार ग्रहण करना चाहिए। पारणा अगले दिन सुबह शुभ मुहूर्त में किए जाने का विधान है।
गन्ने के रस से करें भगवान विष्णु का अभिषेक
जया एकादशी का व्रत गन्ने के रस पर लिया जाता है। ऐसी मान्यता है कि जया एकादशी पर गन्ने के रस से भगवान विष्णु तथा भगवान शिव का अभिषेक किया जाए तो भगवान शिव व लक्ष्मी नारायण की कृपा प्राप्त होती है। साथ ही आर्थिक संकट का निवारण होता है। इस दिन व्रती को यथा संभव फलाहार के रूप में केवल गन्ने के रस का ही सेवन करना चाहिए।