
नईदुनिया प्रतिनिधि, उज्जैन। अगहन कृष्ण अष्टमी पर आज भगवान भैरव का जन्मोत्सव मनाया जा रहा है। सुबह से भक्त उज्जैन के अलग-अलग भैरव मंदिरों में दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं। कालभैरव, आताल पाताल भैरव मंदिर में मध्यरात्रि 12 बजे भगवान का जन्मोत्सव मनेगा। नगर के अष्ट महाभैरव मंदिर में उत्सवी छटा बिखर रही है। गुरुवार को कालभैरव व आताल पाताल भैरव की सवारी निकलेगी।
कालभैरव मंदिर के पुजारी पं.ओमप्रकाश चतुर्वेदी ने बताया अगहन कृष्ण अष्टमी पर भगवान कालभैरव के प्राकट्य की मान्यता है। इसलिए मध्य रात्रि में भगवान का जन्मोत्सव मनाया जाता है। बुधवार को सुबह से शाम तक भक्तों को भगवान के दर्शन होंगे। रात 9.30 बजे मंदिर के पट बंद होंगे। इसके बाद भगवान का अभिषेक पूजन व राजसी शृंगार होगा। रात 12 बजे मंदिर के पट खुलेंगे।
इसके बाद भगवान का पूजन व महाआरती होगी। रात 1.30 बजे तक जन्म दर्शन तथा भंडारे का आयोजन होगा। भक्त भगवान कालभैरव के दर्शन व महाप्रसादी ग्रहण कर सकेंगे। 13 नवंबर को शाम 4 बजे राजसी वैभव के साथ भगवान कालभैरव की सवारी निकलेगी। भगवान के जन्मोत्सव पर मंदिर में आकर्षक विद्युत व पुष्प सज्जा की गई है।
सिंहपुरी स्थित श्री आताल पाताल भैरव मंदिर में बुधवार से तीन दिवसीय भैरव जन्म महोत्सव का शुभारंभ हो गया है। पं.आदर्श जोशी व पं.रूपम जोशी ने बताया बुधवार सुबह महाभैरव का अभिषेक पूजन हुआ। दिन में विशेष शृंगार किया जाएगा। मध्य रात्रि 12 बजे महाआरती तथा प्रसाद वितरण होगा।
जन्म के अगले दिन गुरुवार को आताल पाताल भैरव नगर भ्रमण पर निकलेंगे। शाम 6 बजे बैंड व ढोल ढमाकों के साथ सवारी निकाली जाएगी। शुक्रवार शाम 7 बजे बटुक व कन्या भोज का आयोजन होगा। तीन दिवसीय उत्सव में भक्त दर्शन को उमड़ेंगे।
ओखरेश्वर श्मशान स्थित श्री विक्रांत भैरव मंदिर में महाअष्टमी पर सुबह 9 बजे प्रात: कालीन हवन आरती हुई। इसके बाद रूद्राभिषेक व सुंदरकांड हो रहा है। दोपहर 12 बजे चोला शृंगार किया जाएगा। दोपहर 2 बजे हवन तथा दोपहर 3 बजे छप्पन भोग अर्पण उपरांत महाआरती की जाएगी। रात 9 बजे भजन, रात 10 बजे हवन तथा रात 11 बजे महाआरती की जाएगी। गुरुवार सुबह 8 बजे सुप्रभात आरती के साथ जन्मोत्सव का समापन होगा।
भैरव अष्टमी पर कालभैरव मंदिर में 12 व 13 नवंबर को दो दिवसीय विशाल भंडारा हो रहा है। राज्यसभा सदस्य संतश्री उमेशनाथ महाराज के सानिध्य में उनके शिष्य भीकमसिंह व सरितासिंह द्वारा भंडारे का आयोजन किया जा रहा है। भक्त दो दिन तक महाप्रसादी ग्रहण कर धर्मलाभ ले सकते हैं। यह आयोजन का 17वां वर्ष है।