
नईदुनिया प्रतिनिधि, उज्जैन। मार्गशीर्ष कृष्ण अष्टमी पर बुधवार को भगवान भैरव का जन्मोत्सव मनाया गया। शहर के अष्ट महाभैरव मंदिरों में दिनभर भक्ति का उल्लास छाया रहा। कालभैरव मंदिर में मध्य रात्रि 12 बजे ढोल ढमाकों के साथ भगवान की जन्म आरती की गई। मार्गशीर्ष नवमी पर गुरुवार शाम 4 बजे परंपरा अनुसार भगवान की सवारी निकलेगी। सेनापति कालभैरव रजत पालकी में सवार होकर भक्तों को दर्शन देने निकलेंगे।
धर्मधानी उज्जैन में भैरव उपासना के लिए विशेष मानी गई है। स्कंद पुराण के अवंतिखंड में यहां अष्ट महाभैरव का उल्लेख मिलता है। भैरव इस नगर की सुरक्षा करते हैं। इसलिए कालभैरव को महाकाल का सेनापति कहा जाता है। भैरव वैदिक तंत्र के भी अधिष्ठात्र देव हैं, इसलिए भी यहां उनका उच्च स्थान माना गया है। भैरव ही भय से मुक्त करते हैं, इसलिए भी इनकी साधना नित्य मानी गई है।
देशभर के साधक, आराधक उज्जैन में महाभैरव के दर्शन कर कृपा प्रसाद प्राप्त करने आते हैं। मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर भगवान भैरव के प्राकट्य की धर्मशास्त्रीय मान्यता है। आज के दिन भैरव ने शिव के अंशावतार के रूप में जन्म लिया था।
बुधवार को कालभैरव, आताल पाताल भैरव, विक्रांत भैरव, बटुक भैरव, आनंद भैरव, दंडपाणी भैरव, गोराकाला भैरव सहित अन्य भैरव मंदिरों में भगवान का अभिषेक पूजन, शृंगार, हवन अनुष्ठान, भोग तथा महाआरती के आयोजन हुए। भक्तों को महाप्रसादी का वितरण किया गया।
भागसीपुरा स्थित श्री छप्पन भैरव मंदिर में जन्मोत्सव पर भगवान भैरव को विभिन्न प्रकार की शराब, सिगरेट, गुटखा पाऊच, नमकीन आदि का महाभोग लगाया गया। बड़ी संख्या में भक्त भगवान को लगाए गए इस अनूठे छप्पन भोग के दर्शन करने पहुंचे। शहर का यह एक मात्र ऐसा मंदिर है, जहां भगवान को तामसिक वस्तुओं का महाभोग लगाया जाता है।
भैरव अष्टमी पर कालभैरव मंदिर में दो दिवसीय महाभंडारे का आयोजन किया गया। सुबह राज्यसभा सदस्य संत बालयोगी उमेशनाथ महाराज, महामंडलेश्वर स्वामी शांतिस्वरूपानंद गिरी, महंत राघवेंद्र दास सहित अन्य साधु संतों ने भगवान को भोग लगाकर भंडारे का शुभारंभ किया। पहले दिन सैकड़ों भक्तों ने महाप्रसादी ग्रहण की। गुरुवार को भी भक्त महाप्रसादी ग्रहण कर सकेंगे।
सिंहपुरी स्थित श्री आताल पाताल महाभैरव मंदिर में भगवान का जन्मोत्सव मनाया गया। सुबह अभिषेक, पूजन, शृंगार किया गया। शाम को भगवान को पकवानों का महाभोग लगाया। मध्यरात्रि 12 बजे महाआरती की गई। गुरुवार शाम 6 बजे ढोल ढमाकों के साथ सवारी निकलेगी। आताल पाताल भैरव पालकी में सवार होकर नगर भ्रमण के लिए निकलेंगे।