तो भगवान शिव ऐसे बने ''महाकाल''
भगवान शिव को कई नामों से पुकारा जाता है, उन्हें महाकाल भी कहा जाता है और कालों का काल भी।
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Publish Date: Thu, 13 Jul 2017 01:55:30 PM (IST)
Updated Date: Thu, 13 Jul 2017 09:29:45 PM (IST)

उज्जैन। यह तो हम सभी जानते है कि भगवान शिव को कई नामों से पुकारा जाता है, उन्हें महाकाल भी कहा जाता है और कालों का काल भी। शिव की सृजन का अधिपति और मृत्यु का देवता भी माना जाता है। आखिर क्यों शिव का सृजन और विनाश दोनों का भगवान कहा जाता है और किस प्रकार वह महाकाल बने इसके पीछे की गाथा कुछ इस प्रकार है।
मध्यप्रदेश का उज्जैन जिसे पहले उज्जैनी और अवंतिकापुरी के नाम से भी जाना जाता था में एक शिवभक्त ब्राह्मण निवास करता था। इसी दौरान यहां पर एक राक्षस का प्रकोप भी दिन-रात बढ़ रहा था, जिसे काल के रूप में भी पहचाना जाता था। दुषण नाम का यह राक्षस अपने शक्तियों को दुरुपयोग करता था और ब्राह्मण को बहुत परेशान किया करता था। उसकी शक्ति के पीछे का कारण उसे ब्रह्मा जी द्वारा मिला वरदान था।
राक्षस की शक्तियों के कारण ब्राह्मण तकलीफों में रहने लगा और एक दिन जब बर्दाश्त के बाहर हो गया तो भगवान शिव नाराज हो गए। इसके बाद भगवान शिव ने हुंकार रूप में अवतार लिया और एक ही हुंकार से उस राक्षस का समाप्त कर दिया। काल के रूप में प्रसिद्ध इस राक्षस के वध के बाद से भगवान शिव को कालों का काल 'महाकाल' के रूप में जाना जाने लगा।
शिव मृत्यु के देवता हैं और त्रिदेव में उन्हें संहारक माना जाता है। ब्रहमा सृष्टि के रचयिता, विष्णु संचालक और शिव संहारक है। लेकिन शिव संहार के अधिपति होने के बावजूद भी सृजन का प्रतीक हैं। वे सृजन का संदेश देते हैं। हर संहार के बाद सृजन शुरू होता है।