नईदुनिया प्रतिनिधि, उज्जैन। ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर मंदिर से श्रावण मास में सोमवार को भगवान महाकाल की दूसरी सवारी निकलेगी। भक्तों को भगवान महाकाल के एक साथ दो रूपों में दर्शन होंगे। अवंतिकानाथ चांदी की पालकी में चंद्रमौलेश्वर तथा हाथी पर मनमहेश रूप में सवार होकर दर्शन देने निकलेंगे। महाकाल मंदिर से शाम 4 बजे राजसी वैभव के साथ सवारी की शुरुआत होगी।
प्रशासक प्रथम कौशिक ने बताया मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की मंशा के अनुसार इस बार श्रावण-भाद्रपद मास की सभी छह सवारी अलग थीम पर निकाली जा रही है। पहली सवारी वेद उदघोष की थीम पर निकाली गई थी। सोमवार को निकलने वाली दूसरी सवारी लोक संस्कृति की थीम पर आधारित रहेगी। इसमें आठ जन जातीय कलाकारों के दल प्रस्तुति देते चलेंगे।
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सवारी के मोक्षदायिनी शिप्रा के रामघाट पहुंचने पर ओडिशा के लोक कलाकारों का दल शंख ध्वनि से भगवान महाकाल की अगवानी करेगा। साथ ही छत्तीसगढ़ के नर्तक दल द्वारा लोक पंथी लोक नृत्य की प्रस्तुति दी जाएगी। मंदिर समिति सोशल माध्यमों पर सवारी का सीधा प्रसारण करेगी। देश विदेश के भक्त घर बैठे सवारी देख सकेंगे।
महाकाल मंदिर से शुरू होकर सवारी कोट मोहल्ला, गुदरी चौराहा, बक्षी बाजार, कहारवाड़ी होते हुए शिप्रा तट पहुंचेगी। यहां पूजा अर्चना के बाद सवारी रामानुजकोट, मोढ़ की धर्मशाला, कार्तिक चौक, ढाबा रोड, टंकी चौरहा, छत्री चौक, गोपाल मंदिर, पटनी बाजार होते हुए शाम 7.20 बजे पुन: मंदिर पहुंचेगी। पश्चात भगवान महाकाल की संध्या आरती होगी।