नईदुनिया प्रतिनिधि, उज्जैन। ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर से श्रावण मास में सोमवार को भगवान महाकाल की तीसरी सवारी निकलेगी। अवंतिकानाथ चांदी की पालकी में चंद्रमौलेश्वर, हाथी पर मनमहेश तथा गरुड़ रथ पर शिवतांडव रूप में सवार होकर भक्तों को दर्शन देने निकलेंगे। शाम चार बजे महाकाल मंदिर से राजसी वैभव के साथ सवारी की शुरुआत होगी।
दोपहर 3.30 बजे मंदिर के सभामंडप में पुजारी भगवान महाकाल के चंद्रमौलेश्वर रूप का पूजन कर पालकी को नगर भ्रमण के लिए रवाना करेंगे। महाकाल मंदिर से शुरू होकर सवारी कोट मोहल्ला, गुदरी चौराहा, बक्षी बाजार, कहारवाड़ी होते हुए शिप्रा तट पहुंचेगी।
यहां पुजारी शिप्रा जल से भगवान महाकाल का जलाभिषेक कर पूजा करेंगे। पूजन पश्चात सवारी रामानुजकोट, मोढ़ की धर्मशाला, दानी गेट, टंकी चौराहा, छत्री चौक, गोपाल मंदिर, पटनी बाजार होते हुए शाम सात बजे पुन: मंदिर पहुंचेगी।
भगवान महाकाल की तीसरी सवारी में जनजातीय व लोक नृत्य कलाकार प्रस्तुति देते निकलेंगे। मंदिर समिति के अनुसार सवारी में चार दल शामिल रहेंगे। इनमें डिंडौरी का करमा सैला जनजातीय नृत्य, कर्नाटक का ढोलू कुनिथा, जबलपुर का अहराई नृत्य तथा खंडवा के गणगौर लोक नृत्य की प्रस्तुति होगी।
भगवान महाकाल की तीसरी सवारी में बैंड की प्रस्तुति भक्तों को मंत्रमुग्ध कर देगी। मुख्यमंत्री डा.मोहन यादव की मंशा के अनुरूप सोमवार को पुलिस बैंड, बीएसएफ बैंड, स्काउंट गाइड, श्रीकृष्ण मालवा बैंड, गोपालकृष्ण बैंड तथा जिले के विभिन्न विद्यालयों के बैंड शामिल रहेंगे।
तीर्थनगरी ओंकारेश्वर में श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ गई है। सोमवार के अलावा शनिवार और रविवार को भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शनों के लिए पहुंच रहे हैं। श्रावण मास के तीसरे सोमवार को भगवान ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग का 251 लीटर पंचामृत से महाअभिषेक किया जाएगा। वहीं भगवान ममलेश्वर का महाशृंगार किया गया है।
सावन के प्रत्येक सोमवार को भगवान ओंकारेश्वर और ममलेश्वर की सवारी नगर भ्रमण और नौका विहार करती है। पहले से चौथे सोमवार तक अलग-अलग आयोजन होते हैं। मंदिर ट्रस्ट के पंड़ित आशीष दीक्षित ने बताया कि तीसरे सोमवार को दोपहर दो बजे सवारी रवाना होगी।
कोटीतीर्थ घाट पर भगवान ओंकारेश्वर का महाअभिषेक परंपरानुसार होगा। वहीं भगवान ममलेश्वर का महाशृंगार किया गया है। रविवार को 50 हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने दर्शन किए।