नईदुनिया प्रतिनिधि, उज्जैन। विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में 20 अक्टूबर को रूप चतुर्दशी के दिन तड़के 4 बजे भस्म आरती में दीपावली मनाई जाएगी। इसी दिन से भगवान को गर्म जल से स्नान कराने की शुरुआत भी होगी। भगवान को गर्म जल से स्नान कराने का क्रम फाल्गुन पूर्णिमा होली के दिन तक चलेगा।
बता दें, सभी प्रमुख त्योहार सबसे पहले भगवान महाकाल के आंगन में मनाए जाते हैं। जनमानस द्वारा कार्तिक अमावस्या के दिन दीपावली मनाई जाती है, लेकिन महाकाल मंदिर में कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी के दिन दीपोत्सव मनाया जाता है।
तड़के 4 बजे भस्म आरती में पुजारी भगवान महाकाल को केसर चंदन का उबटन लगाकर गर्म जल से स्नान कराते हैं। भगवान को नए वस्त्र धारण कराकर सोने चांदी के आभूषणों से राजसी श्रृंगार किया जाता है। इसके बाद अन्नकूट का भोग लगाकर फुलझड़ी से आरती कर दीपावली मनाई जाती है।
कार्तिक मास में देवालयों में अन्नकूट लगाने की परंपरा है। विशेषकर श्रीकृष्ण मंदिरों में कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा पर गोवर्धन पूजा के साथ अन्नकूट लगाए जाते हैं, लेकिन महाकाल मंदिर में भगवान महाकाल को अन्नकूट भी सबसे पहले लगाने की परंपरा है। भस्म आरती करने वाले पुजारी परिवार की ओर से रूप चतुर्दशी के दिन ही अन्नकूट लगा दिया जाता है।
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष के प्रथम सोमवार से भगवान महाकाल की सवारी निकाले जाने का क्रम शुरू होगा, जो अगहन मास की अमावस्या तक चलेगा। इस दौरान प्रत्येक सोमवार पर भगवान महाकाल रजत पालकी में सवार होकर तीर्थ पूजन के लिए शिप्रा तट जाएंगे।