लोकेश सोलंकी, नवदुनिया प्रतिनिधि, उज्जैन। उज्जैन स्थित विश्वप्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में गर्भगृह के दर्शन के लिए 1500 रुपये शुल्क लेने की व्यवस्था किसके आदेश पर शुरू हुई, इसको लेकर चल रहा विवाद अब और गहरा गया है। आरटीआई (RTI) के जरिए मिले जवाब में इस बात का खुलासा हुआ है कि यह व्यवस्था उज्जैन के एडीएम (ADM) कार्यालय के रीडर द्वारा जारी आदेश के बाद लागू की गई थी।
इंदौर निवासी सामाजिक कार्यकर्ता संदीप मिश्रा द्वारा की गई आरटीआई जांच में यह बात सामने आई है कि मंदिर समिति को दो आधिकारिक पत्रों के आधार पर 1500 रुपये की विशेष दर्शन रसीद कटवाकर श्रद्धालुओं को गर्भगृह में प्रवेश की अनुमति देने का निर्देश मिला था। हालांकि, दो साल से इन आदेशों की प्रतियां सार्वजनिक नहीं की जा रही हैं, जिससे संदेह और गहरा हो गया है।
संदीप मिश्रा ने महाकाल मंदिर में सशुल्क दर्शन व्यवस्था की वैधता जानने के लिए सूचना के अधिकार (RTI) के तहत आवेदन दाखिल किया। मंदिर समिति ने जवाब में बताया कि 6 अक्टूबर 2021 और 17 नवंबर 2021 को एडीएम रीडर द्वारा दो आदेश जारी किए गए। इन आदेशों के आधार पर मंदिर समिति की बैठक हुई। एक विशेष समिति गठित की गई जिसने गर्भगृह प्रवेश के लिए 1500 रुपये शुल्क तय किया। यह व्यवस्था 6 दिसंबर 2021 से लागू की गई।
मिश्रा ने आगे बताया कि जब उन्होंने इन आदेशों की कॉपी मांगी तो दो वर्षों से कोई दस्तावेज नहीं सौंपा गया। केवल फोन कॉल पर जवाब मिलते रहे। उन्होंने राज्य सूचना आयोग में अपील भी की है, लेकिन अब तक कोई सुनवाई नहीं हुई।
हाल ही में महाकाल मंदिर में रसूखदारों के गर्भगृह में प्रवेश और आम श्रद्धालुओं के साथ दुव्यवहार की घटनाएं सामने आई थीं। इससे श्रद्धालुओं में असंतोष पनपा और विशेष दर्शन प्रणाली पर सवाल उठने लगे। प्रशासन ने दबाव में आकर गर्भगृह प्रवेश की व्यवस्था फिलहाल स्थगित कर दी है। लेकिन 750 रुपये और 250 रुपये के सामान्य सशुल्क दर्शन अभी भी जारी हैं।