नईदुनिया प्रतिनिधि, उज्जैन। ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में आज शनिप्रदोष के शुभ संयोग में आई धनत्रयोदशी (धन तेरस) से पांच दिवसीय दीपपर्व का शुभारंभ हो गया है। राष्ट्र में सुख-समृद्धि के लिए भगवान महाकाल को चांदी का सिक्का अर्पित कर महापूजा की जाएगी। 20 अक्टूबर को दीपावली मनाई जाएगी और 22 अक्टूबर को गोवर्धन पूजा होगी। दीपपर्व के लिए मंदिर में आकर्षक विद्युत व पुष्प सज्जा की जा रही है।
धनत्रयोदशी पर पुरोहित समिति द्वारा भगवान महाकाल की महापूजा की जाएगी। राष्ट्र में सुख-समृद्धि के लिए भगवान को चांदी का सिक्का अर्पित कर पूजा-अर्चना की जाएगी। मान्यता है कि भगवान महाकाल की इस प्रकार पूजा अर्चना करने से राष्ट्र में धन धान्य व सुख-समृद्धि बनी रहती है। महाकाल की महापूजा के बाद मंदिर समिति द्वारा चिकित्सा इकाई में आरोग्यता के लिए भगवान धन्वंतरि का पूजन किया जाएगा।
महाकाल मंदिर में रूप चतुर्दशी पर दीपावली मनाने की परंपरा है। इस बार 20 अक्टूबर को कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी तिथि का महासंयोग बन रहा है। तड़के चार बजे भस्म आरती में पुजारी भगवान महाकाल को केसर-चंदन का उबटन लगाकर गर्म जल से स्नान कराएंगे। पश्चात नवीन वस्त्र सोने, चांदी के आभूषण से विशेष शृंगार किया जाएगा। भगवान को अन्नकूट में पारंपरिक छप्पन प्रकार के व्यंजनों का भोग लगाकर फुलझड़ी से आरती की जाएगी।
महाकाल मंदिर की पूजन परंपरा में दीपावली के अगले दिन कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा पर गोवर्धन पूजा की परंपरा है। इस बार कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा 22 अक्टूबर को रहेगी। मंदिर की चिंतामन स्थित गोशाला में गोपूजा होगी। मंदिर में गोवर्धन पूजा भी की जाएगी। गायों की विशेष साज सज्जा तथा उन्हें विशेष प्रकार के पकवानों का भोग लगाया जाएगा।
धनत्रयोदशी पर इस बार शनिप्रदोष का संयोग बन रहा है। महाकाल मंदिर की पूजन परंपरा में शनि प्रदोष का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान उपवास रखते हैं। सुबह 10.30 बजे भोग आरती में भगवान को फलाहार के रूप में केसरिया दूध का भोग लगाया जाएगा। शाम चार बजे पुजारी भगवान का रुद्राभिषेक पूजन करेंगे। शाम सात बजे संध्या आरती में भगवान को दाल, चावल, रोटी, सब्जी, मिष्ठान्न का नैवेद्य लगाया जाएगा।
(ज्योतिषाचार्य पं. अमर डब्बावाला त्रिवेदी)