उज्जैन। शहर के वरिष्ठ संस्कृत विद्वान डॉ. केशवराव सदाशिव शास्त्री मूसलगांवकर को साहित्य व शिक्षा के क्षेत्र में पद्मश्री सम्मान के लिए चुना गया है। गुरुवार शाम को जारी हुई पद्म सम्मान की सूची में उनका नाम शामिल है। 90 साल के डॉ. मूसलगांवकर अब भी लेखन कार्य में जुटे हुए हैं और इस समय योगसूत्र के भाष्य लिख रहे हैं।
पद्मश्री मिलने पर उन्होंने कहा कि मैंने ऐसा कुछ नहीं किया कि यह सम्मान मुझे मिले। अभी तो बहुत कुछ करना बाकी है। ये सम्मान शास्त्रों को समर्पित करता हूं। महाकाल के चरणों में अर्पित करता हूं।
बता दें कि दिसंबर-2017 में उप्र सरकार ने भी डॉ. मूसलगांवकर को संस्कृत के क्षेत्र में उनके उल्लेखनीय साहित्यिक कार्य को देखते हुए विश्व भारती सम्मान दिया था। उनके पुत्र डॉ. राजेश्वर शास्त्री ने बताया कि उनके पिता अब भी लगातार लेखन कार्य कर रहे हैं। लगभग 50 वर्षों से उनका लेखन जारी है। इस दौरान कई पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।
शिक्षक रहे मगर...
डॉ. मूसलगांवकर वैसे तो बतौर शिक्षक स्कूली शिक्षा से जुड़े रहे, मगर उनका लेखन आज कई विश्वविद्यालयों में पढ़ाया जा रहा है। उन्हें संस्कृत के क्षेत्र में नवीन व्याख्या शैली के लिए जाना जाता है। शास्त्रीजी अब तक 14 ग्रंथ लिख चुके हैं, जो दुनियाभर के ग्रंथालयों में उपलब्ध्ा हैं। विक्रम विश्वविद्यालय में एक छात्रा उनके लेखन कार्य पर पीएचडी भी कर रही है।
हाथ से लिखे 2000 पृष्ठ
डॉ. मूसलगांवकर इस समय योगसूत्र के भाष्य पर लिख रहे हैं, जिसके 2000 पृष्ठ वे हाथ से लिख चुके हैं। वर्ष 2018 में इसका प्रकाशन वाराणसी चौखंभा प्रकाशन से होगा।
अब तक मिल चुके ये पुरस्कार
- राष्ट्रपति पुरस्कार
- अभा कालिदास सम्मान
- राज्य शिखर सम्मान
- विद्वत भूषण सम्मान काशी
- विश्व भारती सम्मान
शिक्षा : डॉ. मूसलगांवकर ने संस्कृत व हिंदी दोनों भाषाओं में एमए किया है। साथ ही इस विषय पर पीएचडी भी की है।