नईदुनिया प्रतिनिधि, उज्जैन। ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या पर गुरुवार को शनिदेव का जन्मोत्सव मनाया जाएगा। भक्त मंदिरों में शनिदेव की आराधना के लिए उमड़ेंगे। नईपेठ स्थित स्थावरेश्वर शनि मंदिर तथा त्रिवेणी स्थित प्राचीन नवग्रह शनि मंदिर में भगवान का तेलाभिषेक होगा। शाम को महाआरती की जाएगी।
ज्योतिषाचार्य पं.अमर डब्बावाला के अनुसार ज्येष्ठ अमावस्या के दिन नवग्रह में ऊर्जा, प्रगति, आध्यात्मिकता, वैराग्य, तीर्थ यात्रा, चिंतन, मनन के का रक देव माने जाने वाले शनिदेव के प्राकट्य की मान्यता है।
इस बार गुरुवार के दिन रोहिणी नक्षत्र ध्रति योग एवं वृषभ राशि के चंद्रमा की साक्षी में अमावस्या आ रही है। इस बार अलग-अलग प्रकार के योग संयोग अमावस्या पर बन रहे हैं। ग्रह गोचर की मान्यता के आधार पर देखें तो इस बार शनि प्राकट्य उत्सव पर केंद्र में पांच ग्रह सूर्य, चंद्र, बुध, गुरु व शुक्र की युति बन रही है।
साथ ही मालव्य एवं शनि का शश योग केंद्र में बन रहा है। यह एक श्रेष्ठ स्थिति है, जो सालों बाद बनती है। स्थितियों में धर्म आध्यात्मिक संस्कृति का विशेष प्रभाव रहता है। ऐसे दिव्य संयोग में शनिदेव की आराधना करने तथा शनि की वस्तुओं का दान करने से शनिदेव की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
भावुका व वट सावित्री अमावस्या भी इसी दिन
धर्म शास्त्रीय मान्यता के आधार पर देखें तो ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को भावुका अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। इसी दिन वट सावित्री अमावस्या का भी व्रत, जप, तप, नियम, दान आदि के संबंध में बताया गया है।
ज्येष्ठ मास 12 माह में सबसे बड़ा माह माना जाता है और इस माह में विशेष त्यौहार धर्म अर्थ काम और मोक्ष को प्रदान करने वाले वहीं धर्म तथा अर्थ की विशेष साधना के लिए विशेष अनुक्रम सिद्ध करने वाले बताए गए हैं। भावुका अमावस्या पर तीर्थ पर पितरों के निमित्त दान धर्म का विशेष नियम है वहीं वट सावित्री अमावस्या व्रत की पूजन महिलाएं करती हैं। जिससे उनके सौभाग्य की वृद्धि हो सके व घर परिवार में सुख शांति की प्राप्ति हो सके इस दृष्टि से यह विशेष है।
शनि देव की अनुकूलता के लिए करें उपाय
जिन जातकों की जन्म कुंडली में शनि विपरीत स्थिति में विराजमान है या शनि की साढ़ेसाती, शनि की महादशा अंतर्दशा, प्रत्यंतर दशा तथा शनि की ढैया चल रही है, उन्हें शनि जयंती पर शनिदेव की प्रसन्नता के लिए उपाय करना चाहिए। तिल्ली के तेल से शनिदेव का अभिषेक करें तथा शनि की वस्तुओं क्रमशः काला उड़द, काला कपड़ा, छतरी, चप्पल, खड़ा धान, राई आदि वस्तुओं का दान करें। ऐसा करने से बाधाएं, संकट, तनाव, दुख, पीड़ाओं का निवारण होगा। कार्य में प्रगति तथा उन्नति के रास्ते खुलेंगे।