Shiv Navratri 2022: उज्जैन (नईदुनिया प्रतिनिधि)। ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में 21 फरवरी से शिव नवरात्रि के रूप में शिव विवाह का उल्लास छाएगा। पुजारी कोटितीर्थ कुंड के समीप स्थित शिव और पार्वती को हल्दी लगाएंगे। चंद्रमौलेश्वर, कोटेश्वर व भगवान रामेश्वर के पूजन के बाद गर्भगृह में अनुष्ठान होगा। नौ दिन तक पूजन के विशेष अनुक्रम से भोग आरती व संध्या पूजन का समय बदलेगा।
पुजारी प्रदीप गुरु के अनुसार फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि पर 21 फरवरी से शिव नवरात्रि उत्सव की शुरुआत होगी। पुजारी भगवान महाकाल को दूल्हा रूप में श्रृंगारित करेंगे। धर्मशास्त्र में शिव को चंदन तथा शक्ति को हल्दी अर्पित करने का विधान है।
ज्योतिर्लिंग की पूजन पंरपरा में भी नौ दिन भगवान महाकाल को चंदन तथा शक्ति स्वरूपा जलाधारी पर हल्दी अर्पित की जाती है। भगवान का भिन्न्-भिन्ना रूपों में श्रृंगार होगा। फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी पर एक मार्च को महाशिवरात्रि पर महानिषाकाल में भगवान की महापूजा होगी। भगवान महाकाल के शीष सवामन फल व फूलों से बना मुकुट सजाया जाएगा।
नौ दिन यह रहेगा पूजा का क्रम
शिव नवरात्रि में नौ दिन सुबह नैवेद्य कक्ष में स्थित भगवान चंद्रमौलेश्वर का पूजन होगा। इसके बाद कोटितीर्थ कुंड के समीप स्थित श्री कोटेश्वर महादेव का पंचामृत अभिषेक-पूजन किया जाएगा। मंदिर परिसर में स्थित शिव पार्वती की अनादिकालीन मूर्ति को हल्दी चंदन अर्पित किया जाएगा।
इसके बाद रामेश्वर महादेव की पूजा-अर्चना होगी। इसके बाद गर्भगृह में भगवान महाकाल के पूजन का क्रम शुरू होगा। पंचामृत अभिषेक पूजन के बाद पुजारी एकादशी एकादशनी रुद्र पाठ करेंगे। इसके बाद दोपहर एक बजे भोग आरती होगी। दोपहर तीन बजे संध्या पूजा होगी। इसके बाद भगवान महाकाल का विशेष श्रृंगार किया जाएगा। आम दिनों में भोग आरती सुबह 10.30 बजे व संध्या पूजा शाम पांच बजे होती है।